नवरात्रि की शुरुआत अश्वनी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और दशहरा पर समाप्त हो जाती है।नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है। दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार मुख्य रूप से नवरात्रि का त्यौहार आता है। इसमें चैत्र और शारदीय मुख्य नवरात्रि होती हैं इसे देशभर में पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। नवरात्रि का मतलब होता है की 9 दिन और रात तक चलने वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। नवरात्रि के पर्व को काफी पवित्र माना जाता है और इन दिनों कोई भी शुभ कार्य करना काफी अच्छा होता है। शास्त्रों में नवरात्रि को विशेष पर्व माना गया है और काफी महत्व दिया गया है इसलिए व्यक्ति नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
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नवरात्र मां दुर्गा की स्थापना हेतु मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि एवं बंगाली धर्म में नवरात्र 9 दिन चलता है और प्रथम दिन उनकी स्थापना और समापन कर दिया जाता है। हरवर्ष पितृपक्ष के तुरंत बाद नवरात्र प्रारंभ हो जाता है। नवरात्र के दौरान हर जगह मां दुर्गे की स्थापना की जाती है और जगह-जगह माता रानी की भक्ति गूंजने लगती है। मां दुर्गा को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। शुरुआत के 3 दिन मां दुर्गा की शक्ति और ऊर्जा की ही पूजा की जाती है। इसके पश्चात 3 दिन तक जीवन में शांति देने वाली माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के दौरान भक्तगण अपने जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए दिन-रात पूजा अर्चना करते हैं एवं आर्थिक समस्या देखने को नही मिले उसके लिए प्रार्थना करते हैं। इसके बाद सांतवें दिन सरस्वती देवी जो कला और ज्ञान की देवी हैं,उनकी पूजा की जाती है और वह दिन उनको ही समर्पित रहता है। भक्तिगण मां सरस्वती से काफी विनती करते हैं कि उन्हें ज्ञान मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। आठवें दिन महागौरी जी की पूजा की जाती है एवं अंतिम दिवस यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। 9 दिन तक भक्तिगण तन मन धन से पूजा अर्चना करते हैं एवं भक्ति में लीन हो जाते हैं।
पीला-नवरात्र का पहला दिन मां भगवती के लिए पीले रंग का कपड़ा निछावर रहता है। पीला रंग आनंद और उत्साह के लिए माना जाता है और भक्तों को पीले रंग की चुनरी पहननी चाहिए।
हरा-नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन भक्त हरा रंग का कपड़ा पहनकर अथवा चुनरी डालकर भक्ति के रंग में रंग जाते हैं। हरा रंग प्रकृति और समृद्धि का रंग होता है।
ग्रे-नवरात्र के तीसरे दिन ग्रे रंग का कपड़ा पहनकर भक्त मां भगवती के चरणों में आशीर्वाद प्रदान करता है।
नारंगी-नवरात्र के चतुर्थ दिवस पर नारंगी रंग पहना जाता है। यह रंग गर्मी का प्रतिनिधित्व करता है।
सफेद-नवरात्रि के पांचवें दिन सर्वशक्तिमान देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सफेद रंग का कपड़ा पहनता है। सफेद रंग पवित्रता एवं सुंदरता का प्रतीक होता है।
लाल-नवरात्रि के छठवें दिन भक्ति के स्वरूप में वक्त लाल रंग का कपड़ा पहनता है और यह दर्शाता है कि लाल रंग स्वास्थ्य और जुनून का प्रतीक होता है।
शाही नीला- नवरात्रि के साथ में दिन सही नीला रंग का कपड़ा पहनकर वक्त यह दिखाता है कि अच्छा स्वास्थ और समृद्धि साईं लीला का प्रतीक होता है और भक्तों को नवरात्रि के सातवें दिन शाही नीला रंग का कपड़ा पहनना चाहिए।
गुलाबी-नवरात्रि के आठवें दिन भक्तों को गुलाबी रंग का कपड़ा पहनना चाहिए क्योंकि गुलाबी रंग प्रेम इसने और स्त्री आकर्षण का प्रतीक होता है , दया का रंग माना जाता है।
बैंगनी-नवरात्रि के नौवें दिन अथवा अंतिम दिन भक्तों को बैगनी कलर का कपड़ा पहनना चाहिए जिसे अस्पष्ट हो कि यह रंग ऊर्जा का प्रतीक होता है।
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