Shardiya Navratri ashtami pujan 2023
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नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का पुजन किया जाता है नवमी के दिन महानवमी का पूजन एवं व्रत रखा जाता है. शारदीय नवरात्रि की यह दोनों तिथियां बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. वैसे तो नवरात्रि के सभी दिन विशेष होते हैं, लेकिन इसमें भी दुर्गा अष्टमी और महानवमी का महत्व इस कारण भी होता है क्योंकि इस समय पर नवरात्रि अपने चरम पर होती है. नवरात्रि की प्रतिपदा यानि पहले दिन कलश स्थापना करते हैं और व्रत रखते हैं और अष्टमी नवमी के दिनों में इसके समापन का समय होता है. आइये जानते हैं इस शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और महानवमी कब मनाई जानी है?
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अष्टमी और नवमी पूजन
दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करते हैं. इसके अलावा नवमी के दिन माता के नवम रुप का पूजन होता है. आठवीं नवदुर्गा शक्ति एवं महानवमी पर दुर्गा अराधना का विशेष फल मिलता है. धर्म कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था, लेकिन हजारों वर्ष की तपस्या से उनका शरीर काला पड़ गया था. भगवान शिव के आशीर्वाद से उनको महा गौर वर्ण प्राप्त हुआ. उनका वह स्वरूप महागौरी के नाम से जाना जाता है. वहीं माता महानवमी के दिन सिद्धिदात्री रुप में पूजी जाती हैं. इस दिन पूजा करने का विधान जीवन में सिद्धियों को प्रदान करता है.
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अष्टमी और नवमी पूजन तिथि मुहूर्त
दुर्गा अष्टमी का व्रत शारदीय नवरात्रि की अष्टमी यानि आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि को रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि 21 अक्टूबर शनिवार को रात 09:53 बजे से शुरू हो रही है और 22 अक्टूबर रविवार को शाम 07:58 बजे तक मान्य है. उदयातिथि के आधार पर दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को है. इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल सुबह 06:26 से शाम 18:44 मिनट तक है. र
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आश्विन शुक्ल नवमी तिथि पंचांग के आधार पर 22 अक्टूबर रविवार को शाम 19:58 से आरंभ होगी. इस तिथि का समापन 23 अक्टूबर सोमवार के दिन होगा. उदयातिथि के आधार पर महानवमी 23 अक्टूबर को है. नवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग होंगे. शुभ योगों पर माता का पूजन संपन्न होगा.
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