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संकष्टी चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में मनाई जाती है | भगवान गणेश की पूजा की तिथि महीने में 2 बार आती है और पूरे साल में 24 बार आती है | और यह चतुर्थी दोनों पक्षों में अलग अलग नाम से जानी जाती है | जो चतुर्थी पूर्णिमा की बाद आती है उसे चतुर्थी कहते हैं संकष्टी चतुर्थी कहते हैं | और जो अमावस्या के बाद चतुर्थी आती है उसे विनायक चतुर्थी कहते हैं| और यदि चतुर्थी मंगलवार को पड़ जाए तो उसे अंगारक चतुर्थी के नाम से कहा जाता है |
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मुहूर्त -
इस बार की सावन के शुल्क पक्ष की विनायक चतुर्थी 12 अगस्त गुरुवार को है | लेकिन है 11 अगस्त को शाम 4:53 से शुरू होकर 12 अगस्त को शाम 3:24 मिनट तक रहेगी|
चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा मध्यकाल में की जाती है | ऐसी मान्यता है कि यदि आज के दिन भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि विधान और सही तरीके से करी जाए तो भगवान गणेश प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा वरदान देकर सभी कष्टों का निवारण करते हैं| और घर में सुख - समृद्धि, धन -दौलत के सिवा ज्ञान की भी प्राप्ति होती है |
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पूजा की विधि -
इस दिन भगवान गणेश की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में की जाती है | इसीलिए सुबह उठकर स्नान ध्यान आदि करने के बाद लाल रंग के वस्त्रों को धारण करें | आप उसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी, से बने भगवान गणेश की प्रतिमा को लाल रंग केक किसी वस्त्र को बिछाकर उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा को रखें | और पूजा करते वक्त अपना मुंह पूर्व या उत्तर की दिशा में करके बैठे हैं | और भगवान गणेश के आगे दिया जलाकर इनको लाल रंग के गुलाब का फूल चढ़ाएं | रोली, मोली, चावल, और फूल सहित लोटे में जल ले ले | और वह मेल लड्डू या मोदक का प्रसाद भगवान गणेश को चढ़ाएं | और भगवान गणेश को सिंदूर का टीका लगाए | और इस मंत्र ॐ गं गणपतयै नमः का जाप करें| और भगवान गणेश को घास अर्पित करें | और पूजा के दौरान गणेश स्तुति, अथर्वशीर्ष का पाठ अवश्य करें | और पूजा के अंत में श्री गणेश जी की आरती गाएं | और कम से कम पांच ब्राह्मणों को भोजन कराएं | आज शाम के समय भगवान गणेश की चालीसा, पुराण आदि का स्त्रोत जरूर करें |
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ऐसा कहा जाता है कि यदि श्री गणेश की पूजा सच्चे मन से की जाए तो भगवान गणेश उस पर अपना आशीर्वाद सदा बना कर रखते हैं | गणेश जी की पूजा करते समय किसी के लिए भी मन में गलत विचार नहीं लाना चाहिए |
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