सावन माह में काल भैरव के इस एक स्तोत्र से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी
सावन माह में शिव के प्रत्येक रुप का पूजन करने से कष्ट दूर होते हैं और भक्तों को इसका बहुत लाभ मिलता है. सावन में काल भैरव पूजा साधना द्वारा शत्रुओं से मुक्ति और बाधाओं का निवारण प्राप्त होता है. कालभैरवाष्टक स्तोत्र के लाभ कई तरह से जीवन को खुशहाल बनाते हैं. काल भैरव स्त्रोत हर संकट से बचाने में कारगर उपाय बनता है. भैरव साधना करने वालोम के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधना विधि भी होती है जिसमें भैरव पूजा के साथ काल भैरव स्त्रोत का पाठ करना अनिवार्य होता है. काल भैरव स्त्रोत जीवन में नकारात्मकता को दूर करता है.
काल भैरव के नाम जप से ही रोगों से मुक्ति मिल जाती है. कोई भी रोग से परेशान हो तो उसे इस स्त्रोत का जाप अवश्य करना चाहिए. सच्चे मन से किया गया जाप शुभ फल देने में बहुत सहायता करता है. इस पाठ का नियमित रुप से जाप करना चमत्कारिक फलों को देने में सहायक होता है.
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स्त्रोत जाप से मिलने वाले लाभ
घर में माताएं अपनी संतान की सुरक्षा एवं आयु के लिए भी इस मंत्र का जाप कर सकती है. यह स्त्रोत बच्चे को लंबी उम्र प्रदान करता है
शनिवार या मंगलवार को कभी भी अपने घर में भैरव पाठ का पाठ करने से व्यक्ति सभी परेशानियों और परेशानियों से मुक्त हो सकता है.
भैरव स्त्रोत से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है. किसी भी प्रकार की दुर्घटना अथवा आकस्मिक आपदाओं से भी शांति मिलती है.
कालभैरव अष्टमी पर भैरव दर्शन करने से अशुभ कर्मों से मुक्ति मिल सकती है. पाप शातं होते हैं और शुभ कर्मों में वृद्धि होती है.
काल भैरव की पूजा करने से जन्म पत्रिका में मौजूद दोष आसानी से दूर हो जाते हैं.
राहु केतु के उपाय के लिए काल भैरव की पूजा करना भी अच्छा माना जाता है. इस पूजा द्वारा सर्प शांति के साथ अन्य प्रकार के दोष भी शांत होते हैं. काल भैरव की पूजा करने से घर परिवार में सुख, शांति, समृद्धि के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का भी लाभ होता है. भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवच आदि का नियमित पाठ करने से जीवन में सभी कष्ट रुकावटें दूर होती हैं.
श्री काल भैरव स्तोत्र
नमो भैरवदेवाय नित्ययानंदमूर्तये ।।
विधिशास्त्रान्तमार्गाय वेदशास्त्रार्थदर्शिने ।।1।।
दिगंबराय कालाय नमः खट्वांगधारिणे ।।
विभूतिविलसद्भालनेत्रायार्धेंदुमालने ।।2।।
कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकायमहात्मने ।।
नमोsचिंत्यप्रभावाय त्रिशूलायुधधारिणे ।।3।।
नमः खड्गमहाधारहृत त्रैलोक्य भीतये ।।
पूरितविश्वविश्वाय विश्वपालाय ते नमः ।।4।।
भूतावासाय भूताय भूतानां पतये नम ।।
अष्टमूर्ते नमस्तुभ्यं कालकालाय ते नमः ।।5।।
कं कालायातिघोराय क्षेत्रपालाय कामिने ।।
कलाकाष्टादिरूपाय कालाय क्षेत्रवासिने ।।6।।
नमः क्षेत्रजिते तुभ्यं विराजे ज्ञानशालने ।।
विद्यानां गुरवे तुभ्यं विधिनां पतये नमः ।।7।।
नमः प्रपंचदोर्दंड दैत्यदर्प विनाशने ।।
निजभक्त जनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ।।8।।
नमो जंभारिमुख्याय नामैश्वर्याष्टदायिने ।।
अनंत दुःख संसार पारावारान्तदर्शिने ।।9।।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
नमो जंभाय मोहाय द्वेषायोच्याटकारिणे ।।
वशंकराय राजन्यमौलन्यस्त निजांध्रये ।।10।।
नमो भक्तापदां हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।।
आनंदमूर्तये तुभ्यं श्मशाननिलयाय् ते ।।11।।
वेतालभूतकूष्मांड ग्रह सेवा विलासिने ।।
दिगंबराय महते पिशाचाकृतिशालने ।।12।।
नमोब्रह्मादिभर्वंद्य पदरेणुवरायुषे ।।
ब्रह्मादिग्रासदक्षाय निःफलाय नमो नमः ।।13।।
नमः काशीनिवासाय नमो दण्डकवासिने ।।
नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमोनमः ।।14।।
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