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Saphala Ekadashi Vrat Katha: सफला एकादशी की व्रत कथा के बिना अधूरी रहती है पूजा, जानें पौराणिक कथाEkadashi Vrat :सभी व्रतों में एकादशी के दिन को उत्तम दिन माना गया है. इस व्रत को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त होता है. इसी में पौष माह में आने वाली सफला एकादशी समस्त सुखों को प्रदान करने वाला एकादशी व्रत है. इस एकादशी पर कथा का श्रवण सभी प्रकार के दुखों को दूर कर देने वाला होता है.
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Saphala Ekadashi Vrat Katha: सफला एकादशी की व्रत कथा के बिना अधूरी रहती है पूजा, जानें पौराणिक कथा
Ekadashi Vrat :सभी व्रतों में एकादशी के दिन को उत्तम दिन माना गया है. इस व्रत को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त होता है. इसी में पौष माह में आने वाली सफला एकादशी समस्त सुखों को प्रदान करने वाला एकादशी व्रत है. इस एकादशी पर कथा का श्रवण सभी प्रकार के दुखों को दूर कर देने वाला होता है. आइये जान लेते हैं पवित्र सफला एकादशी की पावन कथा और उसका फल.
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Importance of Ekadashi fast in Paush month सभी व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है. पुराणों की एक कथाओं के आधार पर बोध होता है कि धर्मात्मा राजा युधिष्ठिर को लीलापुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने एकादशी व्रत करने की बात कही है. कथाओं के अनुसार बताया कि इस व्रत को करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं.
एकादशी कथा करने से मिलता है पुण्य फल Saphala Ekadashi Vrat Katha:
सफला एकादशी हर साल पौष मास के कृष्ण पक्ष के दौरान आने वाली एकादशी तिथि को मनाई जाती है. सफला एकादशी की पूजा और इसकी पौराणिक कथा बेहद विशेष है. सभी व्रतों में एकादशी के दिन को उत्तम दिन माना गया है. इस व्रत को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त होता है. पौष माह में आने वाली सफला एकादशी समस्त सुखों को प्रदान करने वाला एकादशी व्रत है. इस एकादशी पर कथा का श्रवण सभी प्रकार के दुखों को दूर कर देने वाला होता है. आइये जान लेते हैं पवित्र सफला एकादशी की पावन कथा और उसका फल.पौराणिक कथा के अनुसार राजा महिष्मत का बड़ा पुत्र सदैव दुष्कर्मों में डूबा रहता था. देवी-देवताओं की निंदा करता था. गलत कामों में सदैव रहने से राजा महिष्मत ने अपने बड़े पुत्र के पापों और दुष्कर्मों को देखकर उसका नाम लुम्भक रख दिया था. इसके पश्चात उसे अपने राज्य से निकाल दिया. राज्य से निकाले जाने के बाद वह जंगल में रहकर मांसाहारी भोजन और फल खाकर अपना जीवन यापन कर रहा था.
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एक बार अत्यधिक सर्दी के कारण लुम्भक पिड़ित होता है, वह दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी. अगले दिन सफला एकादशी थी. एकादशी के दिन दोपहर के समय सूर्य देव के तेज से लुम्भक को होश आया. भूखे-प्यासे लुम्भक ने जब भोजन के लिए फल एकत्र किये तो सूर्य अस्त हो चुका था. तब उसने उन फलों को वहीं पीपल के पेड़ की जड़ में रख दिया और प्रार्थना की कि जो उसके पास अब है केवल उसी को वह भक्ति से अर्पित कर रहा है अनजाने में लुम्भक ने यह व्रत कर लिया जिसके प्रभाव से उसके समस्त पाप भी क्षय हो जाते हैं ओर उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है.
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सफला एकादशी व्रत महत्व और प्रभाव Safla Ekadashi 2024 Vrat mportance and impact
पौष माह के समय इस एकादशी को किया जाता है. इस सफला एकादशी का व्रत सभी पापों मुक्ति दिलाने वाला होता है. इस व्रत की कथा को करने से पुण्य फल विकसित होते हैं. यह व्रत हजारों यज्ञों के अनुष्ठानों की तुलना अनुरुप प्रभाव देता है. इस व्रत को जो करता है उसे पुण्य फल प्राप्त होता है. इस व्रत को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. अगर इस व्रत को नियमानुसार किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्रत का पूरा फल भी प्राप्त होता है.सभी व्रतों में एकादशी के दिन को उत्तम दिन माना गया है. इस व्रत को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त होता है. इसी में पौष माह में आने वाली सफला एकादशी समस्त सुखों को प्रदान करने वाला एकादशी व्रत है.