मकर संक्रांति को सूर्य देवता को जल अर्पण तथा मां गंगा की आरती करने से कई लाभ होते हैं।
गंगा आरती के लाभ -
मान्यताओं के अनुसार एक दिन जब सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव (मकर राशि के स्वामी) के पास मिलने के लिए गए, तो उस दिन को मकर संक्रांति का पर्व के रूप में मनाये जाने लगा.
ऋषि भगीरथ ने गंगा माता को धरती पर लाने के लिए अथक प्रयास किया, उनके प्रयास के फलस्वरूप गंगा माता धरती पर आयी, मकर संक्राति के दिन माँ गंगा ऋषि भगीरथ के पीछे चलते हुए समुद्र में मिल गयी.
भारत में गंगा को सिर्फ नदी ही नहीं बल्कि पाप तारणी भी माना जाता है। साथ ही गंगा नदी को मां गंगा कहकर पुकारा जाता है । हरिद्वार की गंगा आरती का बहुत महत्व है। यहां पर आरती करने या देखने से ही व्यक्ति के सारे कष्ट मां गंगा दूर करती हैं। आप भी मां गंगा की आरती करवाकर पुण्य के भागी बन सकते हैं।
हमारी सेवाएं-
गंगा आरती से पहले गंगा तीर्थ पुरोहित आपके नाम की गंगा पूजा करेंगे। यह पूजा ब्रह्म कुंड, हर की पौड़ी के प्राचीन मंदिर में होगी। तीर्थ पुरोहित आपको यहीं से संकल्प करवाएंगे। इस संकल्प पूजा के बाद तीर्थ पुरोहित आपके नाम की गंगा आरती करेंगे।
प्रसाद -
श्री सूर्य देव आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
(मकर संक्रांति हेतु सूर्य मंत्र)
सूर्य जल अर्पण मंत्र
सूर्य को जल चढ़ाने के साथ – साथ मुख्यतः सूर्य जल अर्पण मंत्र ) का उपयोग किया है –
इस मंत्र का अर्थ है “मैं सूर्य को नमस्कार करता हूं।” आप इसे दिन के किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन इसे सुबह-सुबह करना विशेष रूप से फायदेमंद होता है, जब सूर्य उग रहा होता है।
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य की स्थिति में परिवर्तन का पर्व होता है, जब सूर्य मकर राशि (कप्रिकॉर्न) में प्रवेश करता है। यह हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य की उत्तरायण की शुरुआत होती है, जो शुभ समय माना जाता है।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
इस दिन लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं, उन्हें अर्घ्य (जल) देते हैं, और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाते हैं जैसे कि तिल, गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी आदि।
मकर संक्रांति में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं?
मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी, खीर, लड्डू, चिक्की, और खीरे जैसे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति पूजा कैसे की जाती है?
मकर संक्रांति पूजा में लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं, उन्हें अर्घ्य (जल) देते हैं, और प्रसाद के रूप में बनाए गए खाद्य पदार्थों को अर्पित करते हैं।
मकर संक्रांति की परंपराएं क्या हैं?
इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और नदी में स्नान करके पापों को धोते हैं, जिसे ‘कुंभ स्नान’ कहा जाता है। इसके अलावा, परिवार और दोस्तों के साथ खास रूप से भोजन करके और मिठाई साझा करके इसे मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के त्योहार में क्या विशेष तैयारियाँ की जाती हैं?
मकर संक्रांति के पहले ही दिन से लोग खास तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। वे खाद्य पदार्थ बनाने और घरों को सजाने में लगे रहते हैं, ताकि त्योहार को धूमधाम से मनाया जा सके।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं?
कई स्थानों पर मकर संक्रांति के त्योहार में पतंगबाजी (किटे उड़ाना), लोहड़ी जलाना, गोधूली, मूंगफली के गुछ्छे और कुछ स्थानों पर होते हैं।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से राज्यों में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, असम, बिहार, उड़ीसा और अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है।मकर संक्रांति के त्योहार को भारत के कितने राज्यों में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तरायण, पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, मघा बिहु इत्यादि कुछ नाम हैं जिनसे यह त्योहार जाना जाता है।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं?
कई स्थानों पर मकर संक्रांति के त्योहार में पतंगबाजी (किटे उड़ाना), लोहड़ी जलाना, गोधूली, मूंगफली के गुछ्छे और कुछ स्थानों पर होते हैं।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से राज्यों में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, असम, बिहार, उड़ीसा और अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का मुहूर्त कब है ?
पुण्य काल :- सुबह 7:15 से सायं 5:45 तक
महापुण्य काल :- सुबह 7:15 से सुबह 9:00 तक
दिन 15 जनवरी 2024
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