गणेश को मूर्ति के रूप में दर्शाया गया है और आम तौर पर उनके हाथ में बेसन के लड्डू या मोदक (प्रमुख भारतीय मिठाइयाँ )पकड़े जाने के रूप में दर्शाया गया है, जिनमें से वे अभिन्न रूप से प्रिय हैं। उनका वाहन एक चूहा है, जो गणेश की इच्छा को प्राप्त करने के लिए समस्त कार्य कुशलता पूर्ण करने की क्षमता का प्रतीक है।
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भगवान गणेश के बहुत से पर्व है। उनमें से एक द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी भी है।जो गणेश भगवान को अति प्रिय है।संकष्टी का उपवास चंद्रमा के चौथे चरण शुक्ल और कृष्ण पक्ष के दौरान ही रखा जाता है। जो कि इस बार 2 मार्च को पड़ रहा है। इस दिन भक्त भगवान गणपति की विधि विधान के अनुसार पूजा करते हैं। जो अति मनभावन होता है।
माघ संकष्टी को भगवान गणेश के द्विजप्रिया महागणपति रूप और साम्य देवता की पूजा की जाती है। संकष्टी का अर्थ है - उद्धार इसके अर्थ से ही पता चलता है।कि यह व्रत कितना विशेष और महत्व वाला है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके आप अपने जीवन के सभी दुःख ,विघ्न, बाधाओं का चुटकियों में निवारण कर सकते हैं।
पूजा विधि-:
सर्वप्रथम गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद प्रतिमा की सच्चे ह्रदय से विधि-विधान के अनुसार पूजा करें। गणेश जी को दूर्वा, पीला सिंदूर, मोदक अति प्रिय है। इसलिए इसे चढ़ाना न भूले ।
शुभ मुहूर्त -
2 मार्च सुबह 5:46 से 3 मार्च 2:59 तक।
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