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Home ›   Blogs Hindi ›   Ravi Pradosh Vrat 2023: Chanting this stotra on the day of Ravi Pradosh gives happiness of every success.

Ravi Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष के दिन इस स्त्रोत के जाप से मिलता है हर सफलता का सुख

my jyotish expert Updated 20 Dec 2023 01:53 AM IST
Ravi Pradosh Vrat
Ravi Pradosh Vrat - फोटो : my jyotish

खास बातें

Ravi Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष के दिन इस स्त्रोत के जाप से मिलता है हर सफलता का सुख
रवि प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत का पूजन भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है. अगर जीवन में बाधाएं आ रही हों,जीवन में कलह हो या कड़ी मेहनत के बावजूद काम में सफलता नहीं मिल रही हो तो रवि प्रदोष व्रत शुभ माना जाता है.

Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत का पालन जीवन में सुख एवं समृद्धि देने वाला होता है. अब साल के इस अंतिम प्रदोष पर सूर्य उपासना से दूर होंगे सभी कष्ट जानें इस दिन के पूजा नियम.
 
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Ravi Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष के दिन इस स्त्रोत के जाप से मिलता है हर सफलता का सुख


रवि प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत का पूजन भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है. अगर जीवन में बाधाएं आ रही हों,जीवन में कलह हो या कड़ी मेहनत के बावजूद काम में सफलता नहीं मिल रही हो तो रवि प्रदोष व्रत शुभ माना जाता है.

Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत का पालन जीवन में सुख एवं समृद्धि देने वाला होता है. अब साल के इस अंतिम प्रदोष पर सूर्य उपासना से दूर होंगे सभी कष्ट जानें इस दिन के पूजा नियम.

Ravi Pradosh Vrat : भगवान शिव के निमित्त रखे जाने वाले इस व्रत के कुछ नियम हैं, इन नियमों पालन करने से व्रत और पूजा सफल होती है. आइये जानते हैं कि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त पूजा कैसे देगा विशेष प्रभाव.

मोक्षदा एकादशी पर सोई हुई किस्मत जगाने का समय -लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली : 22 से 23 दिसंबर -2023
 

प्रदोष पूजा 2023 Margashirsha Ravi Pradosh Vrat

रवि प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत का पूजन भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है. यह व्रत जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाता है. इसी के साथ जीवन में कलह हो या अधिक परिश्रम के बाद भी काम में सफलता नहीं मिल रही हो तो रवि प्रदोष व्रत शुभ माना जाता है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा के साथ साथ कुछ विशेष कार्य करने से जीवन में हर कार्य में सफलता का सुख भी प्राप्त होता है. इस दिन पूजा के साथ साथ कुछ विशेष काम करने से सुखों की प्राप्ति होती है. आइये जानें कैसे करें इस दिन सूर्य उपासना के साथ भगवान शिव का पूजन प्रभाव

रवि प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त Margashirsha Ravi Pradosh Vrat 2023 Shubh muhurat

इस वर्ष पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर 2023 को होगी. इस दिन व्रत किया जाएगा. प्रदोष व्रत के साथ ही इस दिन सूर्य उपासना का भी दिन रहेगा. रवि का दिन होना सूर्य पूजा के लिए उत्तम होता है. इसके प्रभाव से ग्रहों की शुभता, धन और भौतिक सुख में वृद्धि होती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत द्वारा सुख की प्राप्ति संभव होती है. भगवान शंकर की पूजा करने वालों की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

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श्री शिव स्तुति

प्रदोष व्रत के दिन भगवान के शिव पूजन में शिव स्तुति का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग दोष दूर हो जाते हैं. इस दिन का पूजन विशेष फलदायी होता है.

स्फुटं स्फटिकसप्रभं स्फुटितहारकश्रीजटं, शशाङ्कदलशेखरं कपिलफुल्लनेत्रत्रयम्।
तरक्षुवरकृत्तिमद्भुजगभूषणं भूतिमत्, कदा नु शितिकण्ठ ते वपुरवेक्षते वीक्षणम्॥
त्रिलोचन! विलोचने वसति ते ललामायिते, स्मरो नियमघस्मरो नियमिनामभूद्भस्मसात्।
स्वभक्तिलतया वशीकृतवती सतीयं सती, स्वभक्तवशगो भवानपि वशी प्रसीद प्रभो ॥
महेशमहितोऽसि तत्पुरुष पूरुषाग्र्यो भवा-, नघोररिपुघोर ते नवम वामदेवाञ्जलिः॥
नमः सपदि जायते त्वमिति पञ्चरूपोचित-, प्रपञ्चचयपञ्चवृन्मम मनस्तमस्ताडय ॥
रसाघनरसाऽनलाऽनिलवियद्विवस्वद्विध-, प्रयष्टृषु निविष्टमित्यज भजामि मूर्त्यष्कम्।
प्रशान्तमुदभीषणं भुवनमोहनं चेत्यहो,वपूंषि गुणपूंषि तेऽहरहरात्मनोहं भिदे ॥
विमुक्तिपरमाध्वनां तव षडद्धनामास्पदं,पदं निगमवेदिता जगति वामदेवादयः।
कथंचिदुपशिक्षिता भगवतैव संविद्रते,वयन्तु विरलान्तराः कथमुमेश तन्मन्महे॥
कठोरितकुठारया ललितशूलया वाहया,रणड्डमरुणा स्फुरद्धरिणया सखट्वांगया।
चलाभिरचलाभिरप्यगणिताभिरुन्नृत्यत-,श्चतुर्दश जगन्ति ते जयजयेत्ययन् विस्मयम्॥
पुरा त्रिपुरान्धनं विविधदैत्यविध्वंसनं,पराक्रमपरंपरा अपि परा न ते विस्मयः।
अमर्षि बलहर्षितक्षुभितवृत्तनेत्रोज्ज्वल-,ज्ज्वलज्ज्वलनहेलया शलभितं हि लोकत्रयम् ॥
सहस्रनयनो गुहः सह सहस्ररश्मिर्विधुः,बृहस्पतिरुताप्पतिः ससुरसिद्धविद्याधराः।
भवत्पदपरायणाः श्रियमिमां ययुः प्रार्थितां,भवान् सुरतरुर्भृशं शिव शिवां शिवावल्लभ! ॥
तवप्रियतमादतिप्रियतमं सदैवान्तरं,पयस्युपहितं घृतं स्वयमिव श्रियो वल्लभम्।
विबुध्य लघुबुद्धयः स्वपरपक्षलक्ष्यायितं,पठन्ति हि लुठन्ति ते शठहृदः शुचाशुण्ठिताः ॥
निवासनिलयश्चिता तव शिरस्ततिर्मालिका,कपालमपि ते करे त्वमशिवोस्यहोऽसद्धियाम्।
तथापि भवतापदं शिवशिवेत्यदो जल्पता-,मकिञ्चन न किञ्चन वृजिनमस्ति भस्मीभवेत्॥
त्वमेव किल कामधुक्सकलकाममापूरयन्,सदा त्रिनयनो भवान् वहति चात्रिनेत्रोद्भवम्।
विषं विषधरान्दधन् पिबसि तेन चानन्दवान्,विरुद्धचरितोचिता जगदीश ते भिक्षुता ॥
नमश्शिवशिवाशिवाशिवशिवार्थकर्तः शिवां,नमो हरहराहराहरहरान्तरीं मे दृशं।
नमो भव! भवाभवप्रभव भूतये भवान्,नमो मृड नमो नमो नम उमेश तुभ्यं नमः ॥
सतां श्रवणपद्धतिं सरतु सन्नतोक्तेत्यसौ,शिवस्य करुणाङ्कुरान् प्रतिकृतान् सदा सोचिता।
इति प्रथितमानसो व्यधित नाम नारायणः,शिवस्तुतिमिमां शिवां लिकुचिसूरिसूनुः सुधीः ॥
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