वैदिक ज्योतिष के मुताबिक शनि, राहु और केतु समय-समय पर अलग-अलग पीढ़ित होते हैं। जब इन तीनों ग्रहों की स्थिति और महादशा आती है तो व्यक्ति को बुरी तरह से परेशानियां और बीमारियों से भी पीढ़ित होना शुरू हो जाता है। कुछ के लिए व्यापार में भी नुकसान होने लगता है। मनुष्य की गरिमा कम होने लगती है और व्यक्ति के जीवन में इन ग्रहों के प्रभाव से कई समस्याएं दस्तक दे सकती हैं।
जानिए शनि, राहु और केतु के बारे में ?
राहु और केतु शनि के अनुचर यानि उसके पीछे चलने वाले ग्रह हैं। शरीर में भी राहु और केतु के स्थान नियुक्त होते हैं।
- शनि के देवता भैरव हैं जिनका पशु भैंसा हैं एवं शनि का रंग नीला माना जाता हैं। अगर आपकी दृष्टि, बाल , भवें, हड्डी और कनपटी वाले हिस्से में किसी भी प्रकार का दर्द या तकलीफ महसुस हो इसका अर्थ हैं कि आपके ऊपर शनि का प्रकोप हैं।
- माँ सरस्वती राहु की देवी हैं जिनका पशु हाथी और जंगली कांटेदार चूहा और काले रंग को राहु का रंग मानते हैं। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मंडरा रहा है।
- केतु के देवता गणेश हैं जिनके पशु के रूप में कुत्ता , गधा , सुअर और छिपकली प्रचलित हैं एवं सफेद रंग को केतु का रंग कहते हैं। फेफड़े, पेट, पैर, रीढ, घुटने पर किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो इसका मतलब होता हैं कि आप केतु के प्रकोप के शिकार हैं।
क्या होता हैं जब आपके ऊपर हो शनि, राहु और केतु का साया
राहु की मार -: अगर आपके शरीर के भीतर किसी प्रकार की गंदगी पल रही हैं तो आपके ऊपर काली छाया मंडराती हैं। इस दौर में आपके ऊपर घटना-दुर्घटना का संकट, होनी-अनहोनी, भय, कुविचार बने रहते हैं। जिसके सिर पर राहु का साया हैं वह व्यक्ति धोखेबाज़ या बेईमान होगा। इस स्थिति में व्यर्थ के दुश्मन पैदा होते हैं, दिमाग की खराबी या सिर में चोट लग सकती हैं।
केतु की मार -: केतु के साए तले दबे लोग ज़ुबान और दिल दोनों से गंदे होते हैं। इन लोगो का खाना, पीना, नौकरी, व्यवसाय सब बंद हो जाता हैं और रात की नींद भी हराम हो जाती हैं। पेशाब की बीमारी, जोड़ो में दर्द, संतानहीनता केतु के प्रभाव हैं।
शनि की मार -: मदिरापान करना, मांस खाना, पराई स्त्री के साथ रहना, झूठ बोलना, ब्याज़ का धंधा करना, धर्म एवं पूर्वजों का अपमान करना शनि की मार का प्रकोप हैं। इससे जीवन की सुख-शांति और समृद्धि छिन जाती हैं। लड़ाई-झगड़े, अचानक आग लगना, कर्ज़ तले दमना, मकान का हिस्सा गिर जाना शनि का प्रभाव हैं।
राहु, केतु , शनि को मनाने के उपाय
- शनि, राहु, केतु से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- शनि के लिए भैरव बाबा के मंदिर जाकर पापों की क्षमा मांगे। कौवे को रोटी खिलाएं, हनुमान चालिसा पढ़ें, रात को सिरहाने पानी रखें फिर सुबह खजूर के पेड़ में चढ़ाए।
- राहु के लिए रात को सिरहाने मूली रखें और सुबह मंदिर में दान कर दें। घर में चांदी का हाथी रखें।
- संताने केतु हैं तो उनसे अच्छे संबंध रखें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं।
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