जगन्नाथ पुरी:
यह मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ जी कि पूजा सबसे पहले एक आदिवासी विश्ववासु द्वारा नीलमाधव के रूप में की गयी थी। वहीं इस मंदिर का निर्माण राजा इंद्रद्युम्न ने करवाया था। इतिहास के जानकारों के अनुसार वर्तमान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा चोदगांग देव ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में कलिंग शैली की वास्तुकला का प्रयोग है।
रथ उत्सव {रथ यात्रा 2021}: हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है। जब रथ यात्रा होती है उस दौरान, श्री जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी रथ में बैठ कर तीन किलोमीटर दूर स्थित अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन श्री जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी अपने स्थान पर लौट आते हैं।
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भगवान जगन्नाथ को क्यों लगायी जाता है खिचड़ी का भोग!
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जगन्नाथ पुरी में कर्मबाई नाम की एक धर्मपरायण महिला निवास करती थी। कर्माबाई जगन्नाथ जी को अपने पुत्र की तरह मानती थी और उनकी पूजा करती थी। एक दिन कर्माबाई ने खिचड़ी बनायी और उनके मन में वो खिचड़ी भगवान जगन्नाथ जी को खिलाने की इक्षा जागृत हुई। भक्त मां की इच्छा को समझकर भगवान जगन्नाथ स्वयं प्रकट हुए और कहा कि उन्हें भूख लगी है। भक्त करमाबाई ने खिचड़ी बनाकर भगवान को खिलाया। भगवान जगन्नाथ जी ने कर्मबाई के सामने प्रतिदिन खिचड़ी खाने की इच्छा को प्रकट किया।
एक दिन एक महात्मा ने कर्माबाई को नियमित रूप से प्रतिदिन स्नान और प्रार्थना करने के बाद ही किसी कार्य को करने कहा। अगले दिन कर्माबाई ने नहा कर खिचड़ी बनाने लगी लेकिन उन्हें खाना पकाने में देर हो गई। जब भगवान पहुंचे तो उन्होंने कर्माबाई से आग्रह की, कि उन्हें खिचड़ी परोसे। भगवान जल्दी में थे क्योंकि शीघ्र ही मंदिर खुलने वाला था। कर्माबाई ने जब खिचड़ी बनाकर परोसी तो जगन्नाथ जी झटपट खिचड़ी खा कर झट से मंदिर लौट आए। उसके चेहरे पर अनाज का दान लगा रह गया था।
भगवान के मुख पर भोजन के कुछ अंश लगा देखकर मंदिर के पुजारी ने इस बारे में पूछा। भगवान जगन्नाथ जी ने खिचड़ी खाने की पूरी कहानी कह सुनाई। कर्माबाई ने प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया था। लेकिन एक दिन कर्माबाई की मृत्यु हो गई। पुजारी ने देखा कि भगवान जगन्नाथ रो रहे थे। कारण पूछे जाने पर, भगवान ने पुजारी को कर्माबाई की मृत्यु के बारे में बताया और पुजारी से कहा कि उन्हें हर दिन खिचड़ी कौन खिलाएगा। पुजारी ने स्वयं भगवान जगन्नाथ से वादा किया था कि वह उन्हें रोजाना खिचड़ी का भोग लगाएँगे। पुजारी भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी चढ़ाते रहे। माना जाता है कि तभी से सुबह भगवान को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
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