आषाढ़ सोम प्रदोष व्रत में बनेंगे कई शुभ योग, जानें पूजा-विधि और पाएं शुभफलों का लाभ
प्रदोष व्रत भगवान शिव से संबंधित समय होता है जब भक्त भगवान शिव की अराधना उपासना करते हैं. प्रदोष व्रत सभी दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है. प्रदोष व्रत के समय सोमवार का दिन होने पर यह सोम प्रदोष के रुप में भी पूजा जाता है. सोम प्रदोष व्रत का समय अत्यंत शुभ होता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना गया है ओर इसी के साथ चंद्र देव का दिन भी सोमवार ही होता है अत: चंद्र दोष भी इस समय पर शांत होते हैं. सोम प्रदोष एक साथ कई शुभ फलों को प्रदान करने में उत्तम होता है.
प्रदोष व्रत प्रत्येक हिंदू चंद्र माह में दो बार होता है. इसे प्रदोषम के रूप में भी जाना जाता है, प्रदोष व्रत को त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों समय में होती है. जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी नकारात्मक कर्म या दोष समाप्त हो जाते हैं. सोम प्रदोष व्रत के दिन, भक्त भगवान शिव के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. सोम प्रदोष व्रत के दिन उपवास करना आध्यात्मिक शक्ति के लिए सबसे अच्छा होता है और यह साधक को जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से भी मुक्त करने वाला होता है.
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कब है सोम प्रदोष व्रत
11 जुलाई 2022 को सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत किया जाएगा. सोम प्रदोष व्रत का महत्वपूर्ण समय त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 जुलाई, 11:14 पूर्वाह्न पर होगा और इस तिथि की समाप्ति 12 जुलाई, 7:46 पूर्वाह्न पर होगी. सोम प्रदोष के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग, शुक्ल योग और रवि योग बनेंगे. प्रदोष व्रत के दिन इन सभी शुभ योग का निर्माण होने से ये समय और अधिक शुभदायक बनेगा.
सोम प्रदोष व्रत के दौरान किए जाने वाले कार्य
- सोम प्रदोष व्रत के दिन भक्त सूर्योदय के समय उठकर जल्दी स्नान करते हैं. सुबह का समय ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त भी माना जाता है और इस समय पर ही व्रत का भी संकल्प लिया जाता है.
- सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा गोधूलि अवधि समय के दौरान की जाती है क्योंकि प्रदोष समय यही होता है.
- प्रदोष व्रत के समय दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है.
- फूल, बिल्वपत्र, नारियल, फल, धूप और अगरबत्ती के रूप में कई वस्तुओं को अर्पित किया जाता हैं.
- सोम प्रदोष व्रत के दिन घी का दीप जलाना अत्यधिक फल देने वाला माना जाता है.
- पूजा के बाद, भक्त 'सोम प्रदोष व्रत कथा' सुनते हैं और शिव पुराण के अध्याय पढ़ते हैं.
- सोम प्रदोष व्रत के दिन 'महा मृत्युंजय मंत्र' का 108 बार जाप करना भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है.
- सोम प्रदोष व्रत का उपवास भोर में शुरू होता है और शाम को पूजा पूरी करने के बाद समाप्त होता है.
सोम प्रदोष पूजा लाभ
सोम प्रदोष पूजा को करने से भगवान शिव प्रसन्न होंगे और वह अपने भक्तों को शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचाते हैं.
सोम प्रदोष पूजा करने से जीवन में सभी प्रकार के शुभ विचारों का अमन होता है. जीवन की विपदाओं से निजात भी प्राप्त होती है.
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