खास बातें
Pongal Festivals 2024: पोंगल का पर्व क्यों मनाया जाता , जानें पोंगल के 4 दिनों का महत्वPongal 2024 Date : पोंगल का पर्व मकर संक्रांति के समय पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार रहा है. Pongal Festival Significance पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत के राज्यों में विशेष रुप से मनाया जाता है.
विज्ञापन
विज्ञापन
Pongal Festivals 2024: पोंगल का पर्व क्यों मनाया जाता , जानें पोंगल के 4 दिनों का महत्व
Pongal 2024 Date : पोंगल का पर्व मकर संक्रांति के समय पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार रहा है. Pongal Festival Significance पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत के राज्यों में विशेष रुप से मनाया जाता है.Pongal Festival Importance :पोंगल का पर्व आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक जैसे स्थानों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. Pongal four day festival पोंगल को चार दिवसीय पर्व भी कहा जाता है.
पोंगल का त्यौहार काफी जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाने वाला दिन है. यह उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है. इस समय पर आस्था के अलग अलग रंग दिखाई देते हैं. पोंगल के दिन से नववर्ष की शुरुआत को भी देखा जाता है. इस दिन से सुख एवं प्रचुरता का आरंभ होना माना गया है.
मकरसंक्रांति पर स्वस्थ, समृद्ध और सुखद जीवन के लिए हरिद्वार में करवाएं, माँ गंगा और सूर्य की आरती 15 जनवरी 2024
पोंगल पर्व 2024
पोंगल का पर्व काफी जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है. यह उत्सव चार दिनों तक चलता है. इस समय पर अलग अलग रंग दिखाई देते हैं. पोंगल के दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत को भी देखा जाता है. इस दिन से नवीनता का आरंभ होना माना गया है. यह चार दिवसीय त्यौहार में हर दिन अलग रुप में होता है. हर दिन के साथ विभिन्न देवताओं की पूजा के लिए भी विशेष है. आइए जानते हैं कि दक्षिण भारत के राज्यों में ये चार दिन कैसे मनाए जाते हैं और इनका क्या महत्व है.पोंगल पर्व की महत्ता
पोंगल का पर्व काफी जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है. यह उत्सव चार दिनों तक चलता है. इस समय पर अलग अलग रंग दिखाई देते हैं. पोंगल के दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत को भी देखा जाता है. इस दिन से नवीनता का आरंभ होना माना गया है. यह चार दिवसीय त्यौहार के सभी दिन खास होते हैं जिनमें हर दिन के साथ विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है. दक्षिण भारत के राज्यों में यह चार दिन धूम धाम से मनाए जाते हैं और इनका जन जीवन पर बहुत प्रभाव होता है. इस दिन को नव जीवन के प्रति उत्साहित माना गया है. उत्तर भारतीय राज्यों में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की घटना को मकर संक्रांति और लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने पर पोंगल मनाया जाता है. मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह पोंगल का त्योहार भी फसल की कटाई के बाद भगवान का आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है.आइए जानते हैं कि दक्षिण भारत के राज्यों में ये चार दिन कैसे मनाए जाते हैं और इनका क्या महत्व है.पोंगल प्रकृति की पूजा का समय
पारंपरिक रुप से पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्यौहार है. तमिल में पोंगल का मतलब बदलाव से जुड़ा है जिसमें उथल-पुथल व नए रंग के आगमन क समय होता है. पोंगल दक्षिण भारतीय राज्यों केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है और पोंगल त्योहार 15 जनवरी से शुरू हो रहा है. जिस तरह पूरे उत्तर भारत में भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है, उसी तरह दक्षिण में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है.मकरसंक्रांति पर कराएं 108 आदित्य हृदय स्रोत पाठ - हवन एवं ब्राह्मण भोज, होगी दीर्घायु एवं सुखद स्वास्थ्य की प्राप्ति - 15 जनवरी 2024 – शिप्रा घाट उज्जैन