Pola Amavasya 2022: जानिये पोला त्यौहार का महत्व और पूजन विधि
पोलाला अमावस्या मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला त्योहार है, खासकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और आसपास के क्षेत्रों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. अत्यंत भक्ति और उत्साह के साथ मनाए जाने वाले इस उत्सव का पालन उड़ीसा में 'शीतला षष्ठी' और भारत के उत्तरी राज्यों में 'शीतल सप्तमी' पूजा के समान ही देखने को मिलता है. वहां के लोग देवी पोलेरम्मा को स्थानीय देवता के रुप में पूजते हैं. माना जाता है कि देवी बच्चों को सभी बुराइयों और दुर्घटनाओं से बचाती हैं.
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इन्हें देवी शक्ति या दुर्गा के मुख्य अवतारों में से एक माना जाता है. पोलेरम्मा की पूजा का दिन प्रत्येक वर्ष अमावस तिथि पर होने के कारण इस दिन रखे जाने व्रत को 'पोला अमावस्या' कहा जाता है. इस दिन पोलेरम्मा मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और पूजा का आयोजन किया जाता है. किंवदंतियों के अनुसार, देवी पोलेरम्मा को बच्चों की रक्षक के रुप में पूजा जाता है, और विवाहित महिलाएं इसलिए अपने बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए पोला अमावस्या व्रत रखती हैं. पोलाला अमावस्या को पिथोरी (पिठोरी) अमावस्या के रुप में भी जाना जाता है.
पोला अमावस्या पूजन
पोला अमावस्या का दिन देवी पोलेरम्मा को समर्पित है और यह त्योहार मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन जल्दी उठती हैं और विशेष पूजा की तैयारी के लिए सुबह से ही कार्य आरंभ हो जाते हैं. इस दिन, महिलाएं पूजा स्थल पर देवी के स्वरुप मंदिर का चित्र बनाती हैं और वहां देवी की 'षोडशोपचार' विधि द्वारा पूजा करती हैं. पूजा के दौरान, 'रक्षा दरम' या 'रक्षा थोरानम' नामक एक पवित्र धागे की भी पूजा की जाती है. पूजा की रस्में पूरी होने के बाद, महिलाएं अपने बच्चों को यह 'रक्षा सूत्र' बांधती हैं. इस दिन वे उस माँ की कहानी भी पढ़ते हैं जो देवी पोलेरम्मा की पूजा करके अपने मृत बच्चों को वापस लाती है.
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पोला अमावस्या पर देवी पोलेरम्मा को चढ़ाने के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है. गुड़ और चना दाल से बनी तली हुई मीठे भोग बनाती हैं जबकि उड़द की दाल के वड़े कन्याओं की सुख समृद्धि के लिए देवी को अर्पित किए जाते हैं. पूजा के समय देवी शक्ति को समर्पित कई मंत्रों या प्रार्थनाओं जैसे दुर्गा स्तुति, गौरी स्त्रोत और भवानी अष्टकम का जाप पूरे दिन किया जाता है.
देवी पोचम्मा को प्रसन्न करने हेतु इस दिन कठोर व्रत का पालन भी किया जाता है.
पोलाला अमावस्या पर महत्वपूर्ण समय
अमावस्या तिथि 26 अगस्त, 2022 दोपहर 12:24 बजे शुरू होगी
अमावस्या तिथि 27 अगस्त, 2022 दोपहर 1:47 बजे समाप्त होगी
पोला अमावस्या का महत्व
पोलाला अमावस्या का त्योहार संतान सुख हेतु तथा माताओं के लिए बहुत महत्व रखता है. चूंकि देवी पोलेरम्मा बच्चों की रक्षक हैं, इसलिए माताएं पूरे समर्पण और स्नेह के साथ उनकी पूजा करती हैं. यह माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से, देवी पोलेरम्मा बच्चों को कई बीमारियों, विशेष रूप से चेचक और चिकन पॉक्स से बचाती हैं. मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक ये समय पर बीमारियां तेजी से फैलती हैं. बच्चे सबसे कमजोर होते हैं, इसलिए पोलाला अमावस्या व्रत बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए मनाया जाता है.
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