इनको ही पितृपक्ष कहते हैं। तभी से यह श्राद्ध प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
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पितृपक्ष के लाभ
पितरों का तर्पण करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। पूर्वजों को पानी देकर एवं ब्राह्मणों को भोजन कराने से हमारे पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं। हमारे पूर्वजों को भोजन की प्राप्ति होती है। जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। तर्पण करने से बड़ी-बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं एवं भविष्य काल में जीवन में आने वाली बिडंबनाएं दूर होती हैं।अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने हेतु एवं उनके प्रति श्रद्धा बनाए रखने हेतु उनका का तर्पण किया जाता है। जब पितृपक्ष आते हैं तो पितरों के द्वार खुल जाते हैं एवं उनकी दृष्टि परिवार पर पड़ जाती है।
पितृपक्ष के दोष
जो पितृपक्ष के दौरान श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध एवं पिंडदान और ब्राह्मण को भोजन नहीं कराते हैं तो उनको इस सांसारिक जीवन में सभी सुख और भूख प्राप्त नहीं हो पाते हैं। मृत्यु के दौरान श्राद्ध करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है इसलिए श्राद्ध अवश्य कराना चाहिए।
पितृपक्ष के दौरान भोजन में क्या बनाएं
भोजन में आलू,प्याज और लहसुन पूर्णता वर्जित होता है। भोजन में सबसे महत्वपूर्ण चीज खीर होती है तो खीर का सेवन जरूर कराएं और उड़द की दाल के बड़े,चावल ,दूध, घी से बने पकवान और मौसम की सब्जियां एवं मौसम में जो सब्जी बेल पर लगती है जैसे तोरई लौकी सीताफल भिंडी कच्चे केले और कद्दू यह सभी चीजें पितरों को पसंद होते हैं। जमीन के अंदर पैदा होने वाली सब्जियां वर्जित होती हैं। भोजन को पवित्र अवस्था में बनाना चाहिए।
पितृपक्ष में क्या करें
पितृपक्षों में पूर्वजों के नाम का एक घी का दिया जलाना आवश्यक होता है। पितृपक्षों में बना हुआ भोजन कौवे, गाय और कुत्ते को खिलाएं। पितृपक्ष में भोजन दान करें।
पितृपक्ष का तर्पण कैसे करें
पितरों का तर्पण तेल जवा और चावल से करते हैं। सभी पूर्वजों के नाम लेकर जल के द्वारा तर्पण किया जाता है।
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