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जानें पितृदोष के इन 12 कारणों को, फिर मुक्ति का सोचें

my jyotish expert Updated 28 Jul 2021 11:28 AM IST
पितृदोष
पितृदोष - फोटो : google
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अक्सर लोग कई परेशानियों से जूझते हुए तंग आकर ज्योतिष के पास जाया करते हैं। आप पाते होंगे की कुंडली देखकर ज्योतिष कई बार आपको पितृ दोष से पीड़ित बताते हैं। परंतु यह पितृ दोष आखिर होता क्या है, इसके बारे में सब लोग नहीं जानते। असल में व्यक्ति के कुंडली के नवम भाव में पूर्वजों का स्थान होता है। और नवग्रह में पूर्वजों का प्रतीक सूर्य को माना जाता है। अतः जिस जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ ग्रहों के साथ स्थित होता है, या फिर सूर्य पर किसी बुरे ग्रह की दृष्टि होती है, तो उस कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न होता है। जिसके कारण से परिवार में कलह-क्लेश जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इसके अलावा घर का कोई न कोई एक सदस्य अधिकतर बीमार चला आ रहा होता है। और यदि लगातार धन की कमी बनी रह रही हो तो, ऐसे में भी माना जाएगा कि व्यक्ति पर पितृ दोष चल रहा है। पितृ दोष कई प्रकार के होते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कुंडली की विभिन्न स्थिति से पता चलता है कि जातक को पितृ दोष है या नहीं। अगर किसी की कुंडली। मैया दोष होता है, तो घर में कोई मांगलिक कार्य लाख चाहने पर भी नहीं हो पाते हैं। तो आइए जानते हैं, पितृ दोष होने की इन 12 कारणों के बारे में-

1. किसी भी व्यक्ति के कुंडली का नौवां घर यह इंगित करता है, कि जातक अपने इस जन्म में पिछले जन्म का कौन सा पुण्य साथ लेकर आया है। अगर  बुध, राहु या शुक्र कुंडली के नौवें घर में मौजूद हो, तो जातक पितृ दोष से पीड़ित होता है।

2. यदि व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में गुरु विराजमान है, तो इसे श्रापित माना जाता है। और गुरु के श्रापित होने से स्वाभाविक है पितृ दोष का होना।

3. यदि जन्म कुंडली के अनुसार गुरु सातवें घर में बैठे हैं, तो ऐसी स्थिति में मामूली पितृ दोष माना जाता है।

4. यदि लग्न में राहु बैठा है, तो सूर्य ग्रहण एवं पितृ दोष लगता है। इसके अलावा चंद्र के साथ यदि केतु है और सूर्य के साथ राहु बैठा है, तो इस स्थिति में पितृ दोष होता है ।

5. जन्म कुंडली के पंचम भाव में राहु का विराजमान हो ना भी पितृ दोष को इशारा करती है।

6. जन्मपत्रिका के अनुसार शनि, राहु और केतु की दृष्टि अगर सूर्य पर रहती है, तो भी कुंडली में पितृ दोष माना जाता है।

7. विद्वानों के अनुसार बताया गया है की पितृ दोष का संबंध गुरु से है। यदि दो बूरे ग्रहों का असर गुरु पर हो एवं 4-8-12 वें भाव में गुरु विराजमान हो या फिर नीच राशि में हो या अंशों द्वारा निर्धन हों, तो इस स्थिति में यह दोष पूरी तरह से घटता है। परंतु यह पितृ दोष पूर्वजों से चला आता है। जो कि सात पुस्तों तक चलता हीं रहता है।

8. आपके घर की स्थिति पितृ दोष का कारण बन सकती है। यदि आपके घर का उत्तर दिशा एवं ईशान कोण ठीक ढंग से नहीं है, तो ऐसे में देव दोष के साथ-साथ पितृ दोष की भी उत्पत्ति होती है।

9. यदि आपके घर का वास्तु, ग्रह-नक्षत्र सब कुछ सही है, तब भी किसी न किसी तरह से आप  दुख में रह रहें या फिर संपत्ति का अभाव बना रह रहा है, तो इस स्थिति में पितृ बाधा के बारे में एक बार सोचना चाहिए। हो सकता है कि आपके पिछले कर्म ही बुरे हो या फिर आपके पूर्वजों के कर्मों का आपको हर्जाना भुगतना पड़ रहा हो।

10. यदि परिवार के सदस्यों को कोई ऐसा रोग हुआ जो आपके पूर्वजों में से किसी एक को कभी था, तो इस स्थिति में भी पितृ दोष ही एक उचित कारण माना जाएगा।

11. कोई व्यक्ति जो अपने पिछले जन्म में बुरे कर्म या धर्म विरोधी कार्य किया हो , तो इस जन्म में भी उसकी आदतें रह जाएंगी और वह कुकर्म को फिर से दोहराएगा। उस पर खुद हीं पितृ दोष लग जाती है।

12. अगर आपने अपने पूर्वजों का धर्म त्याग किया हो, कुल की धर्म का लाज ना किया हो या फिर कुलदेव व कुलदेवी का बहिष्कार किया हो, तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष लगता है। और यह दोष जन्मो तक पीछा नहीं छोड़ता।

 निवारण-
पितृ दोष से निवारण के लिए अपने कुल की कुलदेव या कुलदेवी की रक्षा और पूजन करें। 
पूर्वजों के धर्म पर विश्वास रखें। 
श्राद्ध कर्म के समय में पितरण के लिए तर्पण करें। 
और अपने पूर्वजों के लिए मन मस्तिष्क में श्रद्धा बनाए रखें।
इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।

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