खास बातें
Panchak 2024 : लोहड़ी के दिन से शुरु होगा मृत्यु पंचक जान लें इसका प्रभावPanchak And Its Effect 13 जनवरी 2024 को शनिवार के दिन से पंचक का आरंभ होगा. इस साल लोहड़ी के पर्व के दिन पंचक की स्थिति बनी रहने वाली है. यह साल का पहला पंचक भी होगा जो शनिवार के दिन से शुरू हो रहा है और इसे मृत्यु पंचक के रुप में जाना जाएगा.
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Panchak 2024 : लोहड़ी के दिन से शुरु होगा मृत्यु पंचक जान लें इसका प्रभाव
Panchak And Its Effect 13 जनवरी 2024 को शनिवार के दिन से पंचक का आरंभ होगा. इस साल लोहड़ी के पर्व के दिन पंचक की स्थिति बनी रहने वाली है. यह साल का पहला पंचक भी होगा जो शनिवार के दिन से शुरू हो रहा है और इसे मृत्यु पंचक के रुप में जाना जाएगा.Panchak according to astrology ज्योतिष अनुसार कुछ विशेष नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है. यह योग चंद्रमा के गोचर से संभव होता है. जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है.
ज्योतिष अनुसात जब चंद्रमा इन राशियों में होते हुए कुछ विशेष नक्षत्रों में विचरण करता है तो पंचक की स्थिति बनती है. चंद्रमा का प्रवेश जब इन नक्षत्रों, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती पर होता है तो पंचक की स्थिति बनती है. ज्योतिष अनुसार इन समय को पंचक कहा जाता है . प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में आमतौर पर यह माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य नहीं किए जाते हैं .
panchak in lohri festival इस वर्ष लोहड़ी पर्व के समय के दिन ही साल के पहले पंचक का आरंभ हो रहा है. पंचक को हिंदू कैलेंडर में एक ऐसा नक्षत्र कहा जाता है जो एक विशेष समय माना गया है. इस समय के दौरान कई कामों को न करने की बात कही जाती है. जिसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं .
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पंचक क्या होते हैं
what is panchak ज्योतिष के अनुसार पंचक को एक ऎसा समय कहा गया है जिसे शुभ नहीं माना जाता है. पंचक को अशुभ नक्षत्रों का योग माना जाता है. कुछ नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है . जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है. ज्योतिष अनुसात जब चंद्रमा कुछ विशेष नक्षत्रों में विचरण करता है तो पंचक की स्थिति बनती है. चंद्रमा का प्रवेश जब इन नक्षत्रों, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती पर होता है तो पंचक की स्थिति बनती है. ज्योतिष अनुसार इन समय को पंचक कहा जाता है . प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में आमतौर पर यह माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य नहीं किए जाते हैं .साल का पहला पंचक होगा मृत्यु पंचक
दिक ज्योतिष में ग्रहों और नक्षत्रों का बहुत ध्यान रखा जाता है . इनमें पंचक का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है . पंचक के दौरान कई कार्य वर्जित होते हैं जिन्हें न करने की बत कही गई है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन तक रहता है . जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तो यह अवधि ढाई और पांच दिन की हो जाती है . इन पांच दिनों में धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रवेती नक्षत्र होते हैं और इस पांच दिन की अवधि को पंचक कहा जाता है .ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी पंचकों का प्रभाव अलग-अलग होता है.कौन सा पंचक क्या प्रभाव देगा, यह इस बात के अनुसार तय होता है कि पंचक किस दिन प्रारंभ हुआ है. शनिवार से शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है.
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