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Panchak March 2024 : महाशिवरात्रि पर पंचक का योग जानें इस दिन पूजा का लाभShivratri Panchak 8 मार्च को शिवरात्रि के दिन पंचक का भी होगा आरंभ. शिवरात्रि के समय पंचक का योग होता है बहुत खास. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर पंचक का प्रभाव शिव पूजन हेतु अनुकूल रहता है.
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Panchak March 2024 : महाशिवरात्रि पर पंचक का योग जानें इस दिन पूजा का लाभ
Shivratri Panchak 8 मार्च को शिवरात्रि के दिन पंचक का भी होगा आरंभ. शिवरात्रि के समय पंचक का योग होता है बहुत खास. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर पंचक का प्रभाव शिव पूजन हेतु अनुकूल रहता है.
Panchak importance पंचक का महत्व उन पांच दिनों से होता है जो किसी भी कार्य विशेष को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं. महीने में पांच दिन ऐसे होते हैं जिनका होना पंचक कहलाता है. जीवन में महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार पंचक काल के दौरान शिव पूजा अनुकूल होती है.
माना जाता है कि भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और पंचक में की गई पूजा एवं स्तुती अत्यंत ही विशेष होती है. इस समय पर भक्त श्रद्धापूर्वक शिव भगवान की स्तुती एवं अभिषेक भी अर्पित कर दे तो उसके जीवन में शुभता बनी रहती है. पंचक एवं शिवरात्रि के योग में अगर आप भगवान शिव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो श्री शिव रुद्राष्टकम्' का पाठ बहुत ही विशेष फल देता है.
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पंचक पर रुद्राष्टकम पाठ Rudrashtakam
पंचक के योग में शिव पूजा के लिए समय अनुकूल माना गया है. पंचांग गणना अनुसार पंचक में भगवान शिव शंकर का पूजन सकारात्मक रुप से अपना प्रभाव देता है. देवताओं में सर्वोच्च पर विराजमान शिव का पूजन पंचक के समय विशेष फलों को देने में सहायक बनता है. शास्त्रों के अनुसार पंचक के समय यदि भगवान शिव की स्तुती हेतु कुछ विशेष कार्य किए जाएं तो इसका बहुत शुभ फल मिलता है. माना जाता है कि भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और पंचक में की गई पूजा एवं स्तुती अत्यंत ही विशेष होती है. इस समय पर भक्त श्रद्धापूर्वक शिव भगवान की स्तुती एवं अभिषेक भी अर्पित कर दे तो उसके जीवन में शुभता बनी रहती है. पंचक एवं शिवरात्रि के योग में अगर आप भगवान शिव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो श्री शिव रुद्राष्टकम्' का पाठ बहुत ही विशेष फल देता है.महाशिवरात्रि के समय शिव के रुद्राष्टकम् पाठ को बहुत ही अद्भुत स्तुति के रुप में स्थान प्राप्त है. इस स्तुती से पंचक के नकारात्मक तत्व समाप्त होते हैं. ऎसे में शिव मंदिर या घर में महाशिवरात्रि के दिन रुद्राष्टकम् स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. जीवन में शत्रु एवं कष्ट पल भर में नष्ट हो जाते हैं. इस पाठ द्वारा भक्तों की रक्षा होती है.
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श्री शिव रूद्राष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
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न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥