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Mahaashivaraatri Par Rudraabhishek Aur 21 Maala Mahaamrtyunjay Jaap, Door Honge Sabhee Kasht V Milegee Har Kaary Mein Saphalata : 08 Maarch 2024

महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक और 21 माला महामृत्युंजय जाप, दूर होंगे सभी कष्ट व् मिलेगी हर कार्य में सफलता : 08 मार्च 2024

By: Myjyotish Expert

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महाशिवरात्रि के शुभ दिन रुद्राभिषेक के साथ 21 माला महा मृत्युंजय जाप करने से मिलेगा सभी प्रकार का लाभ 

  • जीवन में सुख एवं सौभाग्य का आगमन होता है. 
  • महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक द्वारा निर्धनता होती है समाप्त और जीवन में समृद्धि का होता है वास 
  • मृत्यु पर विजय का मंत्र है अत: इस मंत्र के जाप द्वारा अकाल मृत्यु का योग भी समाप्त हो जाता है. 
  • किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा से संबंधित सभी प्रकार के दोषों की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक उत्तम उपाय माने गए हैं. 
  • महामृत्युंजय मंत्र के जाप से रोग एवं व्याधियों का नाश होता है. 
  • महामृत्युंजय मंत्र व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है. , 
  • महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक द्वारा सभी प्रकार के ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं.

महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक का महत्व वेद पुराणों में वर्णित है. भगवान शिव की पूजा अराधना में कई तरह के आध्यात्मिक कार्यों का समावेश मिलता है जिसमें से प्रमुख स्थान महामृत्युंजय जाप एवं रुद्राभिषेक को प्राप्त होता है. यह ऎसे उपाय हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को शुभता प्रदान करने में सक्षम बताए गए हैं.  इनके अनेक लाभ बताए गए हैं. 

मार्कण्डेय पुराण में वर्णित महामृत्युंजय मंत्र का जाप मनुष्य के जीवन उसकी आयु की सुरक्षा हेतु उत्तम उपाय माना गया है. प्राचीन काल के ग्रंथ कहानियां, मिथक तथा किंवदंतियां इन की महत्ता का गुणगान करने वाली हैं. भक्ति का अनुठा स्वरुप है महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक. जिस समय जीवन में कोई आशा न दिखाई देती है उस समय महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक जीवन में नवसंचरण को दर्शाते हैं. 

महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति कथा 
महामृत्युंजय मंत्र की कथा का संबंध ऋषि मार्कण्डेय से संबंधित माना गया है. पौराणिक कथा अनुसार ऋषि मुकुंद के जब कोई संतान नहीं होती है तो वह संतान की कामना हेतु अपनी पत्नी के साथ भगवान शिव की कठोर तपस्या करते हैं. भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें एक पुत्र का आशीर्वाद प्रदान करते हैं किंतु साथ ही यह भी बताते हैं की संतान की उम्र अधिक नही होगी. भगवान शिव के आशीर्वाद से ऋषि को पुत्र प्राप्ति होती है. पुत्र का नाम मार्कंडेय रखते हैं. अपनी संतान की कम उम्र के कारण ऋषि सदैव चिंता में रहते थे पुत्र मार्कंडेय अपने पिता के इस स्थिति से चिंतित होते हैं और उनसे इसके बारे में पूछते हैं. ऋषि मुकुंद ने उन्हें सारी बात बता देते हैं तब मार्कंडेय ने अपने पिता से चिंता न करने के लिए कहा क्योंकि उनका मानना ​​था कि भगवान शिव के प्रति समर्पण के कारण वह दीर्घायु जीवन प्राप्त कर सकते हैं. 

मार्कंडेय ने उसी क्षण से शिव अराधना आरंभ कर देते हैं और नियमित रुप से शिव पूजन करते हैं और मृत्युंजय स्तोत्र का निर्माण करते हैं. अब वह दिन भी आता है जब यमराज स्वयं उन्हें लेने आते हैं तब मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट जाते हैं और भगवान शिव प्रकट होते हैं और बालक मार्कंडेय को दीर्घायु का वरदान प्रदान करते हैं. भगवान शिव ने मार्कंडेय को अनंत काल तक जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया और तब से महा मृत्युंजय यंत्र की पूजा करने से व्यक्ति मृत्यु और बीमारियों से बचाव पाता है.  

 

 

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