इस एकादशी की खास बात यह है कि इस दिन अधिकमास होगा. इसके बारे में शास्त्रों में बहुत सारे उल्लेख मिलते हैं. यह एकादशी अन्य एकादशियों से बहुत अलग होती है. अधिकमास होने के कारण एकादशी के समय कुछ काम करने से पूजा का लाभ भी बढ़ जाता है. आइए जानें इस समय कैसे करें एकादशी की पूजा और पाएं भगवान का आशीर्वाद.
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मलमास एकादशी पूजन
सावन के मलमास की एकादशी के दिन सुबह से ही भगवान की पूजा शुरू हो जाती है. इस समय एकादशी के व्रत के नियमों का पालन करते हुए अनुष्ठान करना होता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद भगवान श्री विष्णु का नाम स्मरण करें और फिर पूजा शुरू करें. मलमास को श्री विष्णु का महीना कहा जाता है, इसलिए इस महीने में इनकी पूजा विशेष फल देती है. मलमास एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि के नाम का स्मरण करते हुए पूजन प्रारंभ करना सर्वोत्तम होता है.
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मलमास या अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह पद्मिनी एकादशी हर 3 साल में एक बार आती है क्योंकि हर तीन साल में मलमास मनाया जाता है. जब मलमास लगता है तो उस वर्ष 24 की जगह 26 एकादशियां व्रत होती हैं. मलमास के शुक्ल पक्ष की एकदशी को पद्मिनी एकदशी और कृष्ण पक्ष की एकदशी को परमा एकदशी कहा जाता है. यदि किसी व्यक्ति की कोई विशेष मनोकामना पूरी नहीं हो रही हो तो उसे पद्मिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए. पद्मिनी एकादशी व्रत के कई लाभ प्राप्त होते हैं. प
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पद्मिनी एकादशी व्रत का फल
इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को संतान का सुख प्राप्त होता है. इस एकादशी के द्वारा यश और कीर्ति में वृद्धि होती है. कुल का मान सम्मान बढ़ता है. भगवान श्री विष्णु की कृपा से उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे वैकुंठ प्राप्त होता है.