Navratri
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देवी दुर्गा के विभिन्न अवतराओं का आगमन धर्म की सुरक्षा के साथ साथ भक्तों को सुख प्रदान करने वाला रहा है. धार्मिक ग्रंथों में देवी दुर्गा के कई अवतारों का उल्लेख मिलता है. इन अवतारों की कथा सुनने से भी शुभ फल मिलता है तथा नवरात्रि के दौरान देवी के इन अवतारों की भी पूजा की जानी चाहिए. जब भी दुष्ट प्रवृत्तियों ने धर्म को हानि पहुंचाने का प्रयास किया है, तब-तब देवी दुर्गा ने विभिन्न रूपों में अवतार लेकर उसका विनाश किया है. देवी के इन अवतारों की कथाएँ अनेक धार्मिक ग्रंथों में मिलती हैं. देवी के इन अवतारों की कथाएँ बड़ी रोचक हैं. आइये जानते हैं नवरात्रि के दौरान देवी के इन अवतारों कि कुछ विशेष बातें एवं कथाएं
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मां चामुंडा अवतार
प्राचीन कथाओं के अनुसार शुम्भ-निशुम्भ नामक दो राक्षसों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. तब देवताओं ने देवी पार्वती की शरण ली. तब देवी ने कालिका का रूप धारण किया और शुभ-निशुंभ को उनके शक्तिशाली योद्धाओं को मुंड सहित नष्ट कर दिया. चंड-मुंड के वध के कारण देवी का एक नाम चामुंडा भी प्राप्त होता है. इसके बाद देवी ने रक्तबीज नामक भयानक राक्षस का भी वध किया.
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शाकम्भरी अवतार
एक बार पृथ्वी पर कई वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण सूखा और अकाल पड़ गया. पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी व्यथित होने लगे, तब अपने भक्तों के दुख को दूर करने के लिए देवी शाकंभरी ने अवतार लिया, जिससे पृथ्वी फिर से हरी-भरी हो गई. शाकम्भरी को शताक्षी नाम से भी जाना जाता है.
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योगमाया का अवतार
जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ, तब उसी समय देवी शक्ति ने यशोदा के गर्भ से योगमाया के रूप में जन्म लिया. जब कंस को इस बारे में पता चला, बच्चे का जन्म हुआ है तो जैसे ही उसे मारने की कोशिश की, वह कन्या उसके हाथ से फिसल गई और देवी के रूप में अपने मूल रूप में वापस आ गई और कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी करती हैं.
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भ्रामरी अवतार
एक बार जब अरुण नामक राक्षस वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया. उसका आतंक बढ़ने लगा और सभी देवता उससे त्रस्त होने लगे. तब देवताओं ने मिलकर देवी शक्ति का आह्वान किया. प्रसन्न होकर देवी ने भ्रामरी के रूप में अवतार लिया. तथा दुष्टों का संहार करके अपने भक्तों की रक्षा की.