चैत्र नवरात्रि 2022 वह सब कुछ जो जानना आवश्यक है
चैत्र नवरात्रि उत्सव चैत्र महीने में होता है, जो मां दुर्गा को समर्पित, यह दिनौ तक चलने वाला त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. देवी दुर्गा पूजा का त्यौहार हिंदू नव वर्ष की स्थापना का भी समय होता है. भक्त साल में चार बार नवरात्रि मनाते हैं, चार नवरात्रि में से माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन नवरात्रि, जिसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है. इन सभी में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का समय अधिक प्रचलित रहा है. दिलचस्प बात यह है कि नवरात्रि ऋतुओं की शुरुआत या परिवर्तन के दौरान मनाई जाती है.
चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है और हिंदू कैलेंडर अनुसार नव वर्ष का दिन होता है. यह उत्तरी भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला नौ दिनों का भव्य उत्सव है. यह नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है. महाराष्ट्रीयन इस नवरात्रि के पहले दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं और कश्मीर में इसे नवरोह कहा जाता है. यह नवरात्रि उत्तरी और पश्चिमी भारत में धूमधाम से मनाई जाती है."चैत्र" का अर्थ है एक नए साल की शुरुआत, तो नव वर्ष की शुरुआत नौ दिनों को अपने भीतर की ओर मुड़ने के साथ होती है.
अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद
चैत्र नवरात्रि तिथि - नवदुर्गा रूप
2 अप्रैल 2022 शनिवार प्रतिपदा घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
3 अप्रैल 2022 रविवार, द्वितीया ब्रह्मचारिणी पूजा
4 अप्रैल 2022 सोमवार तृतीया चन्द्रघन्टा पूजा
5 अप्रैल 2022 मंगलवार, चतुर्थी कुष्माण्डा पूजा
6 अप्रैल 2022 बुधवार स्कन्दमाता पूजा
7 अप्रैल 2022 गुरूवार षष्ठी कात्यायनी पूजा
8 अप्रैल 2022 शुक्रवार सप्तमी, कालरात्रि पूजा
9 अप्रैल 2022 शनिवार, दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
10 अप्रैल 2022 रविवार नवमी, सिद्धिदात्री
इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन।
देवी दुर्गा कौन हैं?
देवी दुर्गा, भगवान शिव की पत्नी, शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं. बुराई के विनाशक के रूप में प्रसिद्ध, दुर्गा के पास देवी-देवताओं की संयुक्त शक्तियां हैं, उनका जन्म महिषासुर नाम के राक्षस को खत्म करने के लिए हुआ था और उन्हें महिषासुरमर्दिनी के नाम से जाना जाता है. दुर्गा जी का चित्रण त्रिशूल से महिषासुर को दंडित करते हुए दिखाता है. सिंह पर विराजमान, दस हाथों से संपन्न देवी दुर्गा विभिन्न शस्त्र धारण करती हैं. नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान भक्त उनके नौ रूपों - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महा गौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं. कुछ परंपराओं में, भद्रकाली, जगदम्बा, अन्नपूर्णा, सर्वमंगला, भैरवी, चंडिका, ललिता, भवानी और मूकाम्बिका की पूजा की जाती है.
इसके अलावा, कुछ भक्त देवी माँ के अन्य रूपों को मानते हैं, और उन्हें महा विद्या के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, इन देवी-देवताओं की पूजा केवल माघ और आषाढ़ नवरात्रि के दौरान की जाती है, जिसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है. महाविद्या इस प्रकार हैं - काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी माता, धूमावती माता, बगलामुखी माता, मातंगी और माता कमला इसलिए, नवरात्रि मनाकर, भक्त देवी दुर्गा को प्रणाम करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हैं.
अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।
अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।