दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय रखना चाहिए किन बातों का ध्यान
नवरात्रि के शुभ अवसर पर देवी के भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है। दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा की स्तुति की गई है। इसमें कुल तेरह अध्याय है। इसे मार्कण्डेय पुराण से लिया गया है। इसका पाठ बहुत ही लाभकारी होता है दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कई तरह की परेशानियों का अंत होता है और साथ ही घरेलू विवाद और आर्थिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ भक्त पूरे श्रद्धाभाव से करते हैं परंतु कई बार इससे जुड़े नियम ना मालूम होने के कारण भक्त अज्ञानवश भूल कर बैठते हैं। ऐसे में आज हम आपको दुर्गा सप्तशती से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं क्या है वह नियम।
अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद
सबसे पहले बात करते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए पुस्तक को हाथ में किस प्रकार पकड़े। पुस्तक को हाथ में ना पकड़े इससे पाठ का आधा ही फल प्राप्त होता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए आप पुस्तक को व्यासपीठ या लाल कपड़े के ऊपर रख कर पाठ करे।
दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले आसन को शुद्ध करें। इसके बाद ही पाठ आरंभ करें आप आसन के लिए कुशा या लाल रंग के कंबल का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह पाठ करने के लिए शुभ माने गये है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले पुस्तक को नमस्कार अवश्य करना चाहिए। पुस्तक को नमस्कार करने के बाद माता का ध्यान करने के पश्चात ही पाठ आरंभ करना चाहिए।
एक बार जब आप दुर्गा शप्तशती का पाठ का आरंभ करते है तो उसके बीच में नहीं उठे क्योंकि पाठ के बीच में उठना अशुभ माना गया है। यदि आप सबको पाठ कर रहे हैं तो आप चतुर्थ अध्याय के बाद विराम ले सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ ना ही बहुत तेज गति या फिर बहुत ही धीमी गति से करना चाहिए। पाठ का उच्चारण स्पष्ट और सुमधुर हो और साथ ही मध्यम गति से हो इसका भक्त को ध्यान रखना चाहिए।
इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में संभव नहीं है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ 1 दिन में पूरा किया जा सके। दुर्गा सप्तशती का पाठ काफी बड़ा है इसे किसी केलिये भी 1 दिन में पूरा कर पाना काफी मुश्किल है। ऐसे में जो भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ तो करना चाहते हैं परंतु 1 दिन में नहीं कर पाएंगे उन लोगों को पहले दिन सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ करना चाहिए और उसके बाद अगले दिन बचे हुए दो चरित्र का पाठ करना चाहिए। या फिर आप चाहे तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्याय के क्रम से 7 दिन में पूरा करें।
यदि आपके पास इतना भी समय नहीं है तो आप पहले कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें और उसके बाद कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको पूर्ण दुर्गा सप्तशति के पाठ के बराबर फल प्राप्त होगा। पौराणिक मान्यता है कि यह उपाय भगवान शिव ने स्वयं माता पार्वती को बताया था जिससे दुर्गा सप्तशती के पूर्ण फल के पुण्य की प्राप्ति होती है।
अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।
अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।