नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 - 13 अक्टूबर
नवरात्रि पूजन ग्रह शांति
देवी की पूजा एवं अराधना हेतु पवित्रता एवं शुचिता का पालन अत्यंत आवश्यक होता है. इस पूजन में अखंड जोत प्रज्वलित की जाती है तथा जौ को बोया जाता है. प्रात:कल एवं संध्या समय देवी पूजन-अर्चन करना होता है. कुंडली में मौजूद ग्रहों की शांति के लिए मंत्र साधना करना अत्यंत उपयोगी होता है. इस दिन देवी के प्रत्येक स्वरुप के मंत्र जाप के साथ साथ नव ग्रह मंत्र का जाप भी करना चाहिए. इस दिन प्रत्येक मंत्र को एक अनुमानित संख्या द्वारा जाप करना चाहिए तभी इसके अनुकूल परिणाम मिल पाते हैं. नव ग्रह मंत्र साधना द्वारा ग्रहों की शाम्ति होती है तथा दोष दूर होते हैं.
नवरात्रि पूजा एवं दान कार्य
इस समय पर अखंड ज्योत का होना तो आवश्यक होता ही है. भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. उसके बाद श्री वरूण देव, श्री विष्णु देव की पूजा की जाती है. शिव, सूर्य, चन्द्रादि नवग्रह की पूजा भी करनी चाहिए. देवताओं कि पूजा करने के बाद नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन दान कार्य करने द्वारा ग्रहों की शांति के साथ साथ शुभता प्राप्त होती है. इस समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित रुप से किया जाना चाहिए. इसके साथ ही प्रात:काल सामथ्य अनुरुप दान इत्यादि कार्य किया जाना त्तम फल देने वाला होता है.
देवी भागवत के अनुसार देवी के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली हैं. यह समय महाविद्याएँ सिद्धियाँ पाने के लिए भी उत्तम होता है. देवी का प्रत्येक रुप दोष समाप्ति करने वाला होता है.
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