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जानिए संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की सही तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

ज्योतिषाचार्य राज रानी Updated 24 Sep 2021 10:25 AM IST
sankashti chaturthi 2021
sankashti chaturthi 2021 - फोटो : google photo
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संकष्टी चतुर्थी जिसे दक्षिण भारतीय राज्यों में संकटहारा चतुर्थी भी कहा जाता है, एक शुभ त्योहार है, जिसे श्री भगवान गणेश के सम्मान में मनाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी शुक्रवार, 24 सितंबर, 2021 को मनाया जाएगा. संकष्टी चतुर्थी सितंबर, 2021 तिथि का समय, 24 सितंबर सुबह 8:30 बजे से 25 सितंबर, सुबह 10:36 बजे तक होगा. यह संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह के दौरान कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पर मनाया जाता है. इसके अलावा जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो यह अंगारकी चतुर्थी के रूप में लोकप्रिय है और इसे सभी संकष्टी चतुर्थी के दिनों में सबसे शुभ
माना जाता है.

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संकष्टी चतुर्थी उत्सव 

संकष्टी चतुर्थी हर हिंदू कैलेंडर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. संकष्टी चतुर्थी का उत्सव भारत के उत्तरी और दक्षिणी दोनों राज्यों में प्रचलित है. महाराष्ट्र राज्य में, विस्तृत और भव्य रुप से मनाया जाता है. संकष्टी शब्द का संस्कृत मूल है और इसका अर्थ है 'कठिन समय के दौरान उद्धार' जबकि 'चतुर्थी' का अर्थ है 'चौथा दिन या भगवान गणेश का दिन. इसलिए इस शुभ दिन पर भक्त जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और हर कठिन परिस्थिति में विजयी होने में मदद करने के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं.


संकष्टी चतुर्थी के अनुष्ठान:

संकष्टी चतुर्थी के दिन, भक्त जल्दी उठकर और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. इस दिन उपवास व व्रत किया जाता है. कुछ लोग आंशिक उपवास भी रख सकते हैं. इस व्रत का पालन करने वाला केवल फलाहार का सेवन करते हैं. इस दिन मुख्य भारतीय आहार में मूंगफली, आलू और साबूदाना खिचड़ी शामिल होती है. संकष्टी पूजा शाम को चंद्रमा को देखने के बाद की जाती है. भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और ताजे फूलों से सजाया गया है. इस दौरान दीपक भी जलाया जाता है और अन्य अनुष्ठान जैसे धूप जलाना और वैदिक मंत्रों का पाठ भी किया जाता है. इसके बाद व्रत कथा का पाठ किया जाता है. संध्या को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है. 


मोदक को भगवान गणेश के लिए विशेष 'नैवेद्य'

प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है. पूजा, आरती के बाद भगवान को भोग लगाने के पश्चात इसे बाद में सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन, विशेष पूजा अनुष्ठान चंद्र देव को समर्पित होते हैं. इसमें चंद्रमा देव को जल, चंदन का लेप, पवित्र चावल और फूल अर्पित किए जाते है. इस दिन 'गणेश अष्टोत्र', 'संकष्टनाशन स्तोत्र' और गणपति गणेश अथर्वशीर्ष स्त्रोत का पाठ करना शुभ होता है. 

श्री गणेश को सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं और देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किए जाते हैं. श्री गणेश विध्न विनाशक हैं सभी कष्टों को दुर करने वाले देव हैं. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है. विध्नहर्ता की पूजा- अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते है. संकष्ट नाम ही सभी कष्टों को दूर करने वाला होता है.

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