जो नौ दिन माँ को मनाएगा जीवन में बड़ा सुख पाएगा, जो नौ कन्या भोज कराएगा जीवन में बड़ा सुख पाएगा ये भजन नवरात्रि में सबसे ज्यादा गाया जाने वाला गीत है जो नवरात्री में कन्या भोज की महत्ता को बताता है आज हम कन्या भोज के महत्व को बताएगें
क्यों है नवरात्रि में कन्या भोज का महत्व?
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है माना जाता है कि नवरात्रि में छोटी - छोटी कन्या माता रानी का रूप होती है जिसके चलते नौ कन्या को माता का प्रतिबिंब मानकर कन्या पूजन करते हैं ।
किस दिन करे कन्या पूजन?
नवरात्रि पूरे नौ दिन की ह़ोती है जिसमें व्रती माता रानी की पूजा अर्चना करते हैं अष्टमी, नवमी को अपने सामर्थ्य के अनुसार व्रत खोलकर कन्या भोज करते हैं और कन्या को दान दक्षिणा देते हैं ।
शास्त्रों के अनुसार अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना सबसे अच्छा माना जाता है ।
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क्या है कन्या पूजन की विधि
कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है । गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं । अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बैठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए ।
उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए । फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं । भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें ।
कन्या पूजन में कितनी हो कन्याओं की उम्र?
कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है. जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है ।
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