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Home ›   Blogs Hindi ›   Navami Shraddha 2023: When is Navami Shraddha? Mother's Shraddha has special significance on this day.

Navami Shradha 2023: नवमी का श्राद्ध कब है? इस दिन को होता है माता के श्राद्ध का विशेष महत्व

Acharyaa RajRani Updated 07 Oct 2023 09:58 AM IST
Navami Shradha
Navami Shradha - फोटो : my jyotish
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श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पितरों के रुप में दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है. इसके साथ जिनकी नवमी थिति है उनका भी श्राद्ध कार्य इस समय पर किया जाता है. मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

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श्राद्ध पक्ष में किए जाने वाले तिथि श्राद्ध की महत्ता का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है. इन समय के अनुरुप किया जाने वाला तर्पण इत्यादि कार्य पितरों को शांति प्रदान करता है. जानिए इस वर्ष नवमी श्राद्ध की तिथि और महत्व कैसे जीवन को करता है प्रभावित. 
  
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इस दिन को मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन को आध्यात्मिक संतुष्टि और शांति के लिए उत्तम माना जाता है. यह समय शांति एवं संतुष्टि प्रदान करने वाला होता है. इस के द्वारा पूर्वजों की अनंत यात्रा सफल हो जाती है.  

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नवमी श्राद्ध पूजन समय 
मातृ नवमी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को आती है. पंचांग के अनुसार मातृ नवमी 7 अक्टूबर 2023 को मनाई जानी है. यह तिथि माता का श्राद्ध करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन है. इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृत महिला सदस्यों की आत्मा शांति एवं संतुष्ट होती है.

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कुतुप मुहूर्त का समय सुबह 11:45 बजे से 12:32 बजे तक रहेगा.इसके साथ ही रौहिण मुहूर्त का समय दोपहर 12:32 से 01:19 बजे तक का होगा इसके बादा दोपहर का समय 13:19 से 15:40 अपराह्न का होगा.  इस दिन, मृत माताओं, बहुओं और बेटियों के लिए पिंडदान किया जाता है. इस दिन को नौमी श्राद्ध और अविध्व श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.
  
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नवमी पूजन महत्व 
पितृ पक्ष में पड़ने वाली हर तिथि का अपना महत्व होता है. इस दिन नवमी तिथि का अपना विशेष महत्व होता है. इस तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध तिथि भी कहा जाता है. यह श्राद्ध करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी कृपा से घर में खुशहाली आती है.

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इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर के निवृत्त होकर पूजन का कार्य आरंभ करना चाहिए. परिवार के दिवंगत सदस्य की फोटो रखें और उस पर माला चढ़ाएं. गुलाब अर्पित करनी चाहिए. दीपक जलाना चाहिए तथा उसमें काले तिल डालने चाहिए. अब विधि-विधान से श्राद्ध कर्म करना चाहिए.  
 
 
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