Navami Shradha
- फोटो : my jyotish
श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पितरों के रुप में दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है. इसके साथ जिनकी नवमी थिति है उनका भी श्राद्ध कार्य इस समय पर किया जाता है. मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
कामाख्या देवी शक्ति पीठ में शारदीय नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 15 अक्टूबर- 23 अक्टूबर 2023 - Durga Saptashati Path Online
श्राद्ध पक्ष में किए जाने वाले तिथि श्राद्ध की महत्ता का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है. इन समय के अनुरुप किया जाने वाला तर्पण इत्यादि कार्य पितरों को शांति प्रदान करता है. जानिए इस वर्ष नवमी श्राद्ध की तिथि और महत्व कैसे जीवन को करता है प्रभावित.
इस पितृ पक्ष द्वादशी, सन्यासियों का श्राद्ध हरिद्वार में कराएं पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 11 अक्टूबर 2023
इस दिन को मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन को आध्यात्मिक संतुष्टि और शांति के लिए उत्तम माना जाता है. यह समय शांति एवं संतुष्टि प्रदान करने वाला होता है. इस के द्वारा पूर्वजों की अनंत यात्रा सफल हो जाती है.
इस शारदीय नवरात्रि कराएं खेत्री, कलश स्थापना 9 दिन का अनुष्ठान , माँ दुर्गा के आशीर्वाद से होगी सभी मनोकामनाएं पूरी - 15 अक्टूबर- 23 अक्टूबर 2023
नवमी श्राद्ध पूजन समय
मातृ नवमी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को आती है. पंचांग के अनुसार मातृ नवमी 7 अक्टूबर 2023 को मनाई जानी है. यह तिथि माता का श्राद्ध करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन है. इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृत महिला सदस्यों की आत्मा शांति एवं संतुष्ट होती है.
विंध्याचल में कराएं शारदीय नवरात्रि दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य : 15 अक्टूबर - 23 अक्टूबर 2023 - Durga Sahasranam Path Online
कुतुप मुहूर्त का समय सुबह 11:45 बजे से 12:32 बजे तक रहेगा.इसके साथ ही रौहिण मुहूर्त का समय दोपहर 12:32 से 01:19 बजे तक का होगा इसके बादा दोपहर का समय 13:19 से 15:40 अपराह्न का होगा. इस दिन, मृत माताओं, बहुओं और बेटियों के लिए पिंडदान किया जाता है. इस दिन को नौमी श्राद्ध और अविध्व श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.
सर्वपितृ अमावस्या पर हरिद्वार में कराएं ब्राह्मण भोज, दूर होंगी पितृ दोष से उत्पन्न समस्त कष्ट - 14 अक्टूबर 2023
नवमी पूजन महत्व
पितृ पक्ष में पड़ने वाली हर तिथि का अपना महत्व होता है. इस दिन नवमी तिथि का अपना विशेष महत्व होता है. इस तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध तिथि भी कहा जाता है. यह श्राद्ध करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी कृपा से घर में खुशहाली आती है.
शारदीय नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 15 अक्टूबर- 23 अक्टूबर 2023
इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर के निवृत्त होकर पूजन का कार्य आरंभ करना चाहिए. परिवार के दिवंगत सदस्य की फोटो रखें और उस पर माला चढ़ाएं. गुलाब अर्पित करनी चाहिए. दीपक जलाना चाहिए तथा उसमें काले तिल डालने चाहिए. अब विधि-विधान से श्राद्ध कर्म करना चाहिए.