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सूत जी ऋषियों से बोले की वह शुक्र देव के मुख से राजा परीक्षित को गीता की मोक्ष देने वाली कथा सुनकर वहाँ पर आए है | वह ऋषियों से बोलते की उनके जैसे ब्राह्मणों के धर्म ,यज्ञ, और कार्य को देखकर वह शुद्ध हो गए है | उसके बाद ऋषियों ने सूत जी को उस कथा को सुनाने को बोला जो आत्मा को प्रसन्न कर देगी और अमृत से भी ज्यादा पुण्य देती है |
एक दिन नारद जी नर और नारायण के घर गए जहां पर कई देवता और तपस्वी भी रहते थे | वहाँ पर बेर , रुद्राक्ष, आँवले , आम , जामुन , आदि जैसे वृक्ष लगे हुए थे | वहाँ पर विष्णु भगवान के चरणों से गंगा और अलकनंदा बह रही थी | नारद जी वहाँ जब गए उनका शरीर से पसीना बह रहा था | फिर नारद जी ने नारायण की को प्रणाम करते हुए कहाँ –“ हे देवधिदेव, संसार के स्वामी , देयासिंधु , आप सत्यावर्ती हो , सत्य के सार रूप हो और सत्य में उत्पन्न हो | हे नारायण आपको प्रणाम है में आपके शरण में आया हूँ | आपका यह ताप संसार को शिक्षा देता है और मर्यादा को रखता है | यह आपका पुण्य प्रभाव ही है जिसके बल पर यह पृथ्वी टिकी हुई है | अतः स्त्री पुत्र के मोह में फसे हुए हर व्यक्ति का हित करने वाले और जिससे मेरा भी हित हो ऐसा कोई उपाय मुझे बताए |
अधिक मास में वृन्दावन के बांके बिहारी जी मंदिर में कराएं श्री कृष्ण की अत्यंत फलदायी सामूहिक पूजा : 13-अक्टूबर-2020
नारद जी के वचन सुनकर नारायण जी मुस्कुराएं और संसार को पवित्र करने वाली कथा सुनाने लगे।
हे वत्स , जो संसार की पल भर में रचना करने में समर्थ है उनके कामों का वर्णन कोई नहीं कर सकता। इस संसार के सारे भगवान के अगम्य चरित्र को तुम भी भली प्रकार जानते हो जो वाणी से भी परे है तो भी में तुम्हारे सामने पुरुषोत्तम भगवान के वेद को दूर करने वाले उत्तम कीर्ति और पुत्र तथा मोक्ष देने वाले अद्भुत महत्तम का वर्णन करता हूं| नारद जी बोले हे भगवान यह पुरुषोत्तम नाम के कौन से देवता है उनका क्या महत्व है यह सब मुझे विस्तार में बताएं | श्री नारायण जी के वचनों को सुनकर मन एकाग्र कर पुरुषोत्तम देवता का परिचय देते हुए बोले पुरुषोत्तम नाम एक मास का नाम है जिसके स्वामी भगवान पुरुषोत्तम ही है इसलिए इसे ऋषि -मुनि पुरुषोत्तम मास कहते हैं इसका व्रत करने से पुरुषोत्तम भगवान प्रसन्न होते हैं। नारद जी बोले मैंने कई मासों का नाम सुना है लेकिन पुरुषोत्तम मास का नाम कभी नहीं सुना ।पुरुषोत्तम मास में पुरुषोत्तम भगवान की आराधना करें और पूरे मन से पूजा पाठ और दान करें| तुम्हें अपने सवालों का जवाब स्वयं मिल जाएगा।
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