हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्यौहार का बहुत महत्व माना जाता है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी के रूप में मनाई जाती है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, नाग पंचमी का दिन नाग देव को समर्पित होता है। इस दिन लोग नाग देव की पूजा-अर्चना करते हैं। इससे उन्हें नाग देव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। नाग देव भगवान शिव के गले में उनके आभूषण के रूप में सुशोभित होते हैं। वो भगवान शिव को बहुत मानते हैं। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव की भी विशेष पूजा की जाती है। यहां तक कि ये भी कहा जाता है कि नाग देव की पूजा करने से पूर्व सदैव ही शिव जी की पूजा करनी चाहिए और बेहतर होगा कि आप नाग देव का पूजन स्वतंत्र रूप से ना करके शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें। यदि आप नाग पंचमी के दिन विधिवत रूप से और सच्ची आस्था के साथ भगवान शिव की और नाग देव की पूजा करते हैं तो आपको बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। आपका जीवन सुखमय होगा, सारी समस्याओं का निवारण होगा तथा आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
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नाग पंचमी की तिथि
इस वर्ष 25 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 अगस्त यानी शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इस शुभ तिथि की शुरआत 12 अगस्त को दोपहर में 03 बजकर 24 मिनट पर होगी और ये अगले दिन 13 अगस्त को दोपहर में 01 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। सूर्योदय 13 अगस्त को पड़ने के कारण इसी दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाएगा और पूजा की जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 49 मिनट से लेकर 08 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। जिनको भी पूजा करनी हैं प्रयास करें की इसी दौरान पूजा हो जाए।
नाग पंचमी का महत्व
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नाग पंचमी की पूजा का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व माना जाता है। इस दिन नाग देव को प्रसन्न करने से आपके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख का आगमन होता है। मगर इसके अतिरिक्त भी नाग पंचमी की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। नाग पंचमी के दिन किए गए उपायों से आप अपने कुंडली के दोषों का निवारण कर सकते हैं। यदि आपकी कुंडली में राहु-केतु बुरी दशा में हो, महादशा हो या कालसर्प दोष हो तो इसका भी निवारण किया का सकता है। ऐसी कुंडली वाले व्यक्ति चांदी अथवा पंचधातु से निर्मित नाग और नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे आपको अच्छा फल मिलेगा और आपके जीवन से ये दोष और इनके बुरे प्रभाव हटेंगे।
ऐसे तो आप नाग देव और उनके साथ ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए और भी कई कार्य कर सकते हैं। उपयुक्त मंत्रों के जाप से भी शिव जी बेहद खुश होते हैं। यदि आप अपनी राशि के अनुकूल मंत्रों का उपयोग करते हैं तो ये आपके लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है। अपनी राशि के अनुसार आप निम्न मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
मेष राशि के लिए मंत्र-
“ॐ वासुकेय नमः”
वृषभ राशि के लिए मंत्र-
“ॐ शुलिने नमः”
मिथुन राशि के लिए मंत्र-
“ॐ सर्पाय नमः”
कर्क राशि के लिए मंत्र-
“ॐ अनंताय नमः”
सिंह राशि के लिए मंत्र-
“ॐ कर्कोटकाय नमः”
कन्या राशि के लिए मंत्र-
“ॐ कंबलाय नमः”
तुला राशि के लिए मंत्र-
“ॐ शंखपालय नमः”
वृश्चिक राशि के लिए मंत्र-
“ॐ तक्षकाय नमः”
धनु राशि के लिए मंत्र-
“ॐ पृथ्वीधराय नमः”
मकर राशि के लिए मंत्र-
“ॐ नागाय नमः”
कुंभ राशि के लिए मंत्र-
“ॐ कुलीशाय नमः”
मीन राशि के लिए मंत्र-
“ॐ अश्वतराय नमः”
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