सोमवार को व्रती पूजा कैसे करे
सबसे पहले व्रत करने वाले स्त्री पुरुष को सुबह उठकर पानी में काला तिल डालकर स्नान करना चाहिए इसके बाद घर में विधि विधान से पूजा करे पूजा में कुछ चीजों का उपयोग जरूर करे
जिसमें सफेद फूल,चन्दन चावल,अक्षत, पान, सुपारी, फल, गंगा जल, बेलपत्र, करे
इसके पश्चात इस मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तंपप्रसन्नम्
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥'
* ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ नमः शिवाय' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
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सोमवार का व्रत केवल साथी के लिए ही नहीं
आमतौर पर ये माना जाता है कि सोमवार का व्रत केवल अच्छे जीवन साथी के लिए ही होता है जबकि ऐसा है नहीं इसके और क ई फायदे हैं सोमवार व्रत की महिमा बहुत असीम है सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है भगवान शिव वरदान देने वाले न्याय प्रिय देवता है जिनका व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है
* इस व्रत को करने से पारिवारिक और मानसिक शान्ति मिलती है साथ ही आर्थिक लाभ, सामाजिक प्रतिष्ठा, संतान लाभ, स्वास्थ्य लाभ मिलता है
* इस व्रत के करने से किसी काम आ रही बाधाओं से छुटकारा मिलता है और उस काम में सफलता मिलती है
सोमवार की व्रत कथा
एक नगर में एक धनेश्वर नाम का व्यापारी रहता है जिसके पास धन की कोई कमी नहीं थी किन्तु उसको एक बड़ा दुख था कि उसकी कोई संतान नहीं थी वो हर सोमवार भगवान शिव की पूजा करता था एक दिन माता पार्वती ने शिव से कहा कि आपका भक्त निसंतान है आपको उसको संतान का सुख देवे शिव भगवान ने माता पार्वती के कहने पर उस व्यापारी को संतान सुख दे दिया किन्तु साथ ही यहाँ कहा कि 16 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो जाएगी भगवान की कृपा से वो बालक शुक्ल पक्ष की भांति बढ़ने लगा किन्तु 15 वर्ष व्यतीत होने के पश्चात 16 वर्ष लगते ही व्यापारी ने उसके मामा के साथ उसे काशी में विद्या अध्ययन करने के लिए भेज दिया रास्ते में वो जहाँ पर ठहरे वह ही एक बारात ठहरी थी उस बारात का दुल्हा अदृश्य हो गया तभी बाराती ने बालक के मामा से कहा कि अगर आपका भांजा आज के लिए दूल्हा बन जाता त़ो विवाह के सारे काम हो जाते हैं मामा ने उसको उस बारात का दूल्हा इस शर्त पर बनाने को कहा रात में पाणिग्रहण के समय दोनों ने एक दूसरे से बात की ओर दूल्हे ने सारी बाते उसे बता दी साथ ही कहा मेरी आयु बहुत छोटी है किन्तु उसने कहा अब आप ही मेरे पति है मैं अन्य की कदावि नहीं और सुबह होते हैं वो अपने मामा के साथ चला गया जब असली दूल्हा आया तो दूल्हन कहा कि जिनका साथ मेरा रात्रि पाणिग्रहण हुआ था वो ही मेरे पति यदि वहीं है तो बतावे की रात में मैने क्या गुप्त बातें कही थी सारी बारात लज्जित होकर चली गयी और रास्ते में एक सार्प ने काल के प्रभाव से उस बालक को काट दिया उसी समय माता पार्वती और शिव वहाँ विहार करने आए थे माता पार्वती ने कहा कि इसके पिता ने आपकी कितनी पूजा की और विधि पूर्वक व्रत किया आपको इस प्राण दान देना ही होगा भगवान शिव ने उस बालक को प्राण दान दे दिया और फिर वो बाल क अपने मामा के साथ उस कन्या के घर गए जिसके साथ उसका पाणिग्रहण हुआ था और दोनों का विवाह हो गया बालक और उसकी धर्मपत्नी जब गाँव के समीप पहुंचे तो पहले ही लोगों ने उसके पिता धनेश्वर को बता दिया कि आपके पुत्र और पुत्रवधु मामा समेत आ रहे हैं पहले तो उन दोनों को यकीन ही नहीं हुआ किन्तु जब दोनों को ने स्वरुप आकर उनके चरण स्पर्श किए तो उन्हे दोनों आशीर्वाद दिया और नगर में बड़ा भारी उत्सव कराया और दान पुण्य किया.
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