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Home ›   Blogs Hindi ›   Mokshada Ekadashi December: Do these measures on the last Ekadashi of the year, luck will rise.

Mokshada Ekadashi December : साल की अंतिम एकादशी पर कर लें ये उपाय जाग उठेगी किस्मत

my jyotish expert Updated 19 Dec 2023 01:39 PM IST
Mokshada Ekadashi
Mokshada Ekadashi - फोटो : my jyotish

खास बातें

Mokshada Ekadashi December : साल की अंतिम एकादशी पर कर लें ये उपाय जाग उठेगी किस्मत 
इस बार यह पूज्य मोक्षदा एकादशी 22 और 23 दिसंबर को मनाई जाएगी. पहला समय स्मार्त अनुसार होगा और दूसरा वैष्णव अनुसार. आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि को कैसे करें और कौन से उपाय देंगे लाभ. साथ ही शुभ कर्म आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं. 

हर प्रकार के कर्म बंधन से मुक्ति मिल जाती है मोक्षदा एकादशी के फलों द्वारा. इस व्रत का प्रभाव इतना है कि इसे करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. हिंदू काल गणना के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है. यह समय  भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी मोक्षदा नाम से जानी जाती है. 
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Mokshada Ekadashi December : साल की अंतिम एकादशी पर कर लें ये उपाय जाग उठेगी किस्मत 


इस बार यह पूज्य मोक्षदा एकादशी 22 और 23 दिसंबर को मनाई जाएगी. पहला समय स्मार्त अनुसार होगा और दूसरा वैष्णव अनुसार. आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि को कैसे करें और कौन से उपाय देंगे लाभ. साथ ही शुभ कर्म आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं. 

हर प्रकार के कर्म बंधन से मुक्ति मिल जाती है मोक्षदा एकादशी के फलों द्वारा. इस व्रत का प्रभाव इतना है कि इसे करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

हिंदू काल गणना के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है. यह समय  भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. 

हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी मोक्षदा नाम से जानी जाती है. 

Ekadashi का समय एक माह में दो पक्ष होने के कारण आता है. इस कारण दो एकादशियां आती हैं. इन दो पक्ष में एक शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है. हिंदू धर्म में सभी एकादशी का विशेष महत्व है. इसी में अपने नाम के अनुरुप फल देने वाली मोक्षदा एकादशी भी विशेष है. 

इस बार यह पूज्य मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाएगी. पहला समय स्मार्त अनुसार होगा और दूसरा वैष्णव अनुसार. आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि को कैसे करें और कौन से उपाय देंगे लाभ. साथ ही शुभ कर्म आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.

मोक्षदा एकादशी पर सोई हुई किस्मत जगाने का समय -लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली : 22 से 23 दिसंबर -2023
 

मोक्षदा एकादशी व्रत की महिमा Mokshada Ekadashi Vrat 

मोक्षदा एकादशी के व्रत की महिमा बहुत खास है. इस दिन पर भगवान श्री कृष्ण, विष्णु की पूजा का विधान है. इसी के साथ इस दिन वेद व्यास और श्रीमद्भागवत गीता पूजन भी किया जाता है. इन सभी की विशेष पूजा की जाती है. शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अगर इस व्रत को अपनी पूर्ण भक्ति विश्वास श्रद्धा के साथ करता है तो मनुष्य के कष्ट तो दूर हो जाते हैं साथ ही उसके पूर्वजों को मोक्ष का सुख मिल जाता है. 

मोक्षदा एकादशी व्रत पूजन 

मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि को दोपहर के समय एक समय भोजन करना चाहिए. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि रात के समय खाना नहीं खाना चाहिए. इस शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान के सामने व्रत का संकल्प धारण करते हैं. मोक्षदा एकादशी व्रत का पूजन भक्ति पूर्ण होता है. लोग इस पवित्र व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं. इस समय पर धर्म स्थानों का भ्रमण किया जाता है. नदियों में स्नान होता है. इस वर्ष भी भक्ति भाव के साथ इस एकादशी का पूजन किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान श्री कृष्ण की धूप, दीप और नैवेद्य आदि से पूजा होती है. भक्ति भाव से पूजा करनी चाहिए. इतना ही नहीं इस एकादशी के दिन रात में जागरण के साथ पूजा-पाठ भी किया जाता है. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजा करने के बाद जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन और दान से विशेष लाभ मिलता है.

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मोक्षदा एकादशी की कथा

एक समय की बात है, गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पिता नरक में हैं और अपने पुत्र से मुक्ति की याचना कर रहे हैं. इस संबंध में राजा ने मुनि से पिता की मुक्ति का उपाय पूछा. 
मुनी ने राजा को बताया कि उसके पूर्व जन्म के कर्मों के कारण उसके पिता नरक में पहुँचे हैं और उसे मोक्षदा एकादशी के व्रत के बारे में बताया. उसने राजा से कहा कि वह व्रत का फल अपने पिता को अर्पित कर दे, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके. तब राजा ने ऋषि के कहे अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन आदि कराया, जिससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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