खास बातें
Masik Durgashtami: मासिक दुर्गाष्टमी पूजन से दूर हो जाती है हर समस्याWorshiping Maa Durga हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मासिक दुर्गाष्टमी के रुप में पूजी जाती है.
हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा का बहुत महत्व है. हर माह आने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का प्रभाव दुर्गा पूजा को समर्पित है. दिव्य देवी को शक्ति, ताकत और सुरक्षा के अवतार के रूप में पूजा जाता है.
Masik Durgashtami: मासिक दुर्गाष्टमी पूजन से दूर हो जाती है हर समस्या
Worshiping Maa Durga हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मासिक दुर्गाष्टमी के रुप में पूजी जाती है.
हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा का बहुत महत्व है. हर माह आने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का प्रभाव दुर्गा पूजा को समर्पित है. दिव्य देवी को शक्ति, ताकत और सुरक्षा के अवतार के रूप में पूजा जाता है.
maa durga worship benefits मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त जीवन के सभी क्षेत्रों से भक्त माँ दुर्गा को भक्ति भाव से पूजते हैं. देवी माता का आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन को विशेष माना गया है. माँ दुर्गा की पूजा मासिक दुर्गा पूजा के समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है और इस शुभ दिन पर दुर्गा मंत्र के साथ देवी स्त्रोत का पालन उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है.
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मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा अनुष्ठान Benefits of worshipping Maa Durga
दुर्गा अष्टमी पूजा में माता के दिव्य स्वरुप का पूजन किया जाता है, देवी शक्ति व ऊर्जा का प्रतीक हैं और सृजन, संरक्षण और विनाश की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं. ऐसा माना जाता है कि वह बुरी ताकतों के खिलाफ शक्ति और सुरक्षा की ढ़ाल के रुप में सदैव माता का आशीर्वाद मिलता है. मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करना शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इससे समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास होता है.इस दिन से संबंधित कई कथाओं का उल्लेख मिलता है जिसमें से मुख्य रुप से माँ दुर्गा के सबसे महत्वपूर्ण पक्ष में से एक महिषासुर पर उनकी जीत है. यह विजय बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन को भी इस मासिक अष्टमी के रुप में पूजा जाता है. यह समय सत्य एवं शक्ति के सात्विक रुप की जीत का समय होता है. माँ दुर्गा की पूजा करके, भक्त बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है. नकारात्मकता का हर ओर से ह्रास होता है. व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान का सुख भी प्राप्त होता है. मासिक दुर्गाअष्टमी पूजन करने से भक्तों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
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देवी स्त्रोत के पाठ से दूर होंगे कष्ट Powerful Mantras of Goddess Durga
माँ दुर्गा की पूजा मासिक दुर्गा पूजा के समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है और इस शुभ दिन पर दुर्गा मंत्र के साथ देवी स्त्रोत का पालन उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है. इस दिन देवी के इस स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों को सुख एवं शक्ति की प्राप्ति होती है. पुराणिं में निहित यह स्त्रोत बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है.श्री कृष्ण उवाच
त्वमेवसर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी। त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका॥कार्यार्थे सगुणा त्वं च वस्तुतो निर्गुणा स्वयम्। परब्रह्मस्वरूपा त्वं सत्या नित्या सनातनी॥
तेज:स्वरूपा परमा भक्तानुग्रहविग्रहा। सर्वस्वरूपा सर्वेशा सर्वाधारा परात्परा॥
सर्वबीजस्वरूपा च सर्वपूज्या निराश्रया। सर्वज्ञा सर्वतोभद्रा सर्वमङ्गलमङ्गला॥
सर्वबुद्धिस्वरूपा च सर्वशक्ति स्वरूपिणी। सर्वज्ञानप्रदा देवी सर्वज्ञा सर्वभाविनी।
त्वं स्वाहा देवदाने च पितृदाने स्वधा स्वयम्। दक्षिणा सर्वदाने च सर्वशक्ति स्वरूपिणी।
निद्रा त्वं च दया त्वं च तृष्णा त्वं चात्मन: प्रिया। क्षुत्क्षान्ति: शान्तिरीशा च कान्ति: सृष्टिश्च शाश्वती॥
श्रद्धा पुष्टिश्च तन्द्रा च लज्जा शोभा दया तथा। सतां सम्पत्स्वरूपा श्रीर्विपत्तिरसतामिह॥
प्रीतिरूपा पुण्यवतां पापिनां कलहाङ्कुरा। शश्वत्कर्ममयी शक्ति : सर्वदा सर्वजीविनाम्॥
देवेभ्य: स्वपदो दात्री धातुर्धात्री कृपामयी। हिताय सर्वदेवानां सर्वासुरविनाशिनी॥
योगनिद्रा योगरूपा योगदात्री च योगिनाम्। सिद्धिस्वरूपा सिद्धानां सिद्धिदाता सिद्धियोगिनी॥
माहेश्वरी च ब्रह्माणी विष्णुमाया च वैष्णवी। भद्रदा भद्रकाली च सर्वलोकभयंकरी॥
ग्रामे ग्रामे ग्रामदेवी गृहदेवी गृहे गृहे। सतां कीर्ति: प्रतिष्ठा च निन्दा त्वमसतां सदा॥
महायुद्धे महामारी दुष्टसंहाररूपिणी। रक्षास्वरूपा शिष्टानां मातेव हितकारिणी॥
वन्द्या पूज्या स्तुता त्वं च ब्रह्मादीनां च सर्वदा। ब्राह्मण्यरूपा विप्राणां तपस्या च तपस्विनाम्॥
विद्या विद्यावतां त्वं च बुद्धिर्बुद्धिमतां सताम्। मेधास्मृतिस्वरूपा च प्रतिभा प्रतिभावताम्॥
राज्ञां प्रतापरूपा च विशां वाणिज्यरूपिणी। सृष्टौ सृष्टिस्वरूपा त्वं रक्षारूपा च पालने॥
तथान्ते त्वं महामारी विश्वस्य विश्वपूजिते। कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च मोहिनी॥
दुरत्यया मे माया त्वं यया सम्मोहितं जगत्। यया मुग्धो हि विद्वांश्च मोक्षमार्ग न पश्यति॥
इत्यात्मना कृतं स्तोत्रं दुर्गाया दुर्गनाशनम्। पूजाकाले पठेद् यो हि सिद्धिर्भवति वाञ्िछता॥
वन्ध्या च काकवन्ध्या च मृतवत्सा च दुर्भगा। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सुपुत्रं लभते ध्रुवम्॥
कारागारे महाघोरे यो बद्धो दृढबन्धने। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम्॥
यक्ष्मग्रस्तो गलत्कुष्ठी महाशूली महाज्वरी। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सद्यो रोगात् प्रमुच्यते॥
पुत्रभेदे प्रजाभेदे पत्नीभेदे च दुर्गत:। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं लभते नात्र संशय:॥
राजद्वारे श्मशाने च महारण्ये रणस्थले। हिंस्त्रजन्तुसमीपे च श्रुत्वा स्तोत्रं प्रमुच्यते॥
गृहदाहे च दावागनै दस्युसैन्यसमन्विते। स्तोत्रश्रवणमात्रेण लभते नात्र संशय:॥
महादरिद्रो मूर्खश्च वर्ष स्तोत्रं पठेत्तु य:। विद्यावान धनवांश्चैव स भवेन्नात्र संशय:॥