आषाढ़ माह की मंगला तेरस पूजा से मिलता है सौभाग्य का आशीर्वाद
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंगल तेरस का व्रत किया जाता है. यह व्रत सौभाग्य एवं दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने हेतु किया जाता है. इस दिन देवी पार्वती का पूजन होता है. देवी पार्वती सौभाग्य का प्रतीक हैं अत: इनकी पूजा द्वारा वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है. किसी भी प्रकार की विवाह समस्या के समाधान के लिए यह व्रत उत्तम माना गया है.
हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मंगला तेरस पूजा योग्य वर की प्राप्ति एवं सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए की जाती हैं जिस प्रकार तीज , करवा चौथ इत्यादि का पूजन होता है उसी प्रकार इस पूजन द्वारा भी सुख की प्राप्ति होती है. आर्थिक सुख समृद्धि को प्रदान करने में भी मंगला तेरस व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है.
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मंगला तेरस व्रत और पूजा विधि
मंगला तेरस व्रत के दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद पूजा विधि का आरंभ होता है. सबसे पहले, माता पार्वती एवं भगवान शिव की मूर्ति अथवा प्रतिमाओं को सजाया जाता है. लकड़ी के पटरे पर लाल वस्त्र बिधा कर प्रतिमा को रखा जाता है. धूप, दीप, दूध, दही, रोली, सुगंध, चंदन, सिंदूर, मेंहदी और काजल, चूड़ियाँ, मेवा, सुपारी और लौंग को इस पूजा सामग्री के रुप में उपयोग किया जाता है.
मंगला तेरस पूजन में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन में आरती, मंत्र जाप एवं शिवपुराण कथा का श्रवण एवं पठन करना अत्यंत शुभ होता है. ''ऊँ पार्वत्यै नमः के साथ ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना उत्तम होता है. पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित किया जाता है तथा सभी को प्रसाद रुप में बांटा जाता हैं.
मंगला तेरस व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत कर सकती हैं. आषाढ़ माह का अंतिम मंगलवार इस व्रत के लिए होता है. ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए असंख्य व्रत रखे थे जिस प्रकार उन्हें अपने जीवन साथी की प्राप्ति हुई उसी प्रकार आज के दिन किए जाने वाले व्रत पूजन से सभी को अपने लिए मनोकूल साथी प्राप्त होता है.
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मंगला तेरस पूजा के लाभ
आप विवाह से संबंधित कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं जैसे कि आपकी शादी में देरी हो रही है, आपके और आपके साथी के बीच वैवाहिक विवाद और मंगल दोष है, तो इन समस्याओं को हल करने के लिए यह सबसे प्रमुख पूजाओं में से एक है. यदि महिलाओं को विवाह में देरी का सामना करना पड़ रहा है तो यह पूजा आपको शुभ फल देने में सहायक होती है ओर योग्य जिवन साथी की प्राप्ति होती है.
यह पूजा वैवाहिक मुद्दों को सुलझाने में बहुत मददगार है. यदि किसी की कुंडली में मंगल या मांगलिक दोष का निर्माण होता है तो इस पूजा द्वारा सभी दोष को दूर करने में मदद मिलती है. संतान के सुख को प्रदान करने में भी यह व्रत अत्यंत उत्तम होता है. घरेलू कलह कलेश की शांति होती है. जीवन में बाधाएं समाप्त होती हैं ओर सुख का आगमन होता है.
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