मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मंगलवार के दिन व्रत रखने से कुंडली में मंगल ग्रह के निर्बल होने का प्रभाव बदल जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। शनि की महादशा और साढ़े साती का प्रभाव कम करने के लिए भी यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है।
मंगलवार के दिन उपवास और पूजा पाठ करने से सम्मान, बल, साहस, और पुरुषार्थ को बढ़ाने में सहायक है। बहुत से लोग संतान प्राप्ति या संतान संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए भी मंगलवार का व्रत रखते हैं। इस व्रत के फलस्वरूप पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और व्रती के शत्रुओं का विनाश होता है। साथ ही इस व्रत से जादु, टोना और काली शक्तियों से भी बचने में सहायता मिलती है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं की मंगलवार का व्रत कब से आरंभ करना चाहिए और साथ ही इस व्रत की पूजा विधि और उद्यापन के बारे में विस्तार से।
आज हम जानेगें कैसे करे मंगलवार व्रत उद्यापन और उसकी विधि
मंगलवार व्रत उद्यापन विधि (Mangalvar Vrat Udyapan Vidhi) -
व्रत शुरू करते समय लिए गए संकल्प के अनुसार 21 वें या 45 वें मंगलवार को आप व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। जिस मंगलवार के दिन आपका व्रत का संकल्प पूरा हो रहा हो उस दिन विधि विधान से हनुमान जी की पूजा करें और लाल वस्त्र जरूर चढ़ाएं। इसके साथ ही व्रत के समापन के दिन हवन जरूर करें और ब्राम्हणों को भोजन कराएं और दान दक्षिणा दे कर विदा करें।
कैसे करें मंगलवार के व्रत का आरंभ
मान्यताओं के अनुसार किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से मंगलवार के व्रत का आरंभ करना शुभ माना जाता है। यदि आप मंगलवार के व्रत को आरंभ करते हैं तो शास्त्रों के अनुसार 21 या 45 मंगलवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत के दौरान व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बहुत से लोग मंगलवार का व्रत आजीवन भी रखते हैं।
घर से ही बाबा अमरनाथ के रुद्राभिषेक से शिवजी भरेंगे झोली, अभी रजिस्टर करें
मंगलवार व्रत की पूजा विधि
- इस व्रत को रखने के लिए सबसे पहले मंगलवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें अगर वस्त्र लाल रंग के हो जो ज्यादा बेहतर है।
- मान्यताओं के अनुसार आपने जो लाल वस्त्र पहना है वह सिला हुआ नहीं हो तो बेहतर है।
- मंगलवार के दिन व्रत के दौरान आप मंदिर या घर दोनों में से कहीं पर भी जा कर पूजा कर सकते हैं।
- यदि आप घर में पूजा कर रहे हैं, तो ईशान कोण को साफ कर के वहां पर एक चौकी रख उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर उस चौकी के ऊपर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें और वहीं पर भगवान श्री राम और माता सीता की भी प्रतिमा या तस्वीर भी अवश्य स्थापित करें।
- इतना करने के पश्च्यात हाथ में जल लेकर आप जितने मंगलवार का व्रत रखेंगे उसका संकल्प लें और हनुमान जी से प्रार्थना करें की आपको समस्त कष्टों से मुक्त करें और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
- व्रत के संकल्प के बाद घी का दीपक या धूप दीप जलाकर पहले भगवान श्री राम और माता सीता की आरती करें, फिर हनुमान जी की पूजा करें।
- हनुमान जी को लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल सिंदूर और चमेली के तेल का तेल बजरंगबली को चढ़ाएं।
- इसके पश्च्यात हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें व आरती करें और भगवान को गुड़ केले और लड्डू का भोग लगाएं।
- भगवान पर चढ़ाए प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में वितरित करें।
व्रत रखते समय यह ध्यान रहे कि इस व्रत में केवल एक बार शाम से पहले मीठा भोजन करना है। भोजन में नमक नाम मात्र का भी नहीं होना चाहिए इस बात का विशेष ख्याल रखें।
केवल पुरुष नहीं महिलाएं भी रख सकती हैं हनुमान जी का व्रत
बजरंगबली को ब्रह्मचारी कहा जाता है इस वजह से महिलाओं के मन में हनुमान जी के व्रत को लेकर सदैव संदेह बना रहता है। लेकिन सनातन धर्म के धर्मग्रंथों के अनुसार महिलाएं भी हनुमान जी का व्रत रख सकती हैं। किसी भी ग्रंथ, शास्त्र या पुराण में यह नहीं लिखा हुआ कि महिलाओं द्वारा हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए। लेकिन महिलाओं को व्रत और पूजा के दौरान कुछ बातों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी ब्रह्मचारी थे इस वजह से महिलाओं को हनुमान जी पर लाल वस्त्र या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए। साथ ही महिलाएं अपने शुद्ध दिनों में ही हनुमान जी की पूजा करें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
व्रत के दौरान इन बातों का भी रखें ध्यान
यदि आप हनुमान जी का व्रत रख रहे हैं तो अपने जीवनकाल के लिए मांस मदिरा का सेवन करना छोड़ दें और अपने आचार-विचार को स्वच्छ रखने का प्रयत्न करें। व्रत के दिन गरीबों में अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करें और घर के आसपास में या कहीं पर बंदर दिखें तो उन्हें केले या चना गुड़ खिलाएं। इससे आपकी सभी मनोकामना पूर्ति शीघ्र होगी।
ये व्रत उद्यापन विधि भी पढ़े:
सोमवार व्रत उद्यापन विधि | मंगलवार व्रत उद्यापन विधि |
बुधवार व्रत उद्यापन विधि | गुरुवार / बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि |
शुक्रवार व्रत उद्यापन विधि | शनिवार व्रत उद्यापन विधि |
रविवार व्रत उद्यापन विधि | बृहस्पतिवार व्रत कथा एवं पूजा विधि |