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मंगलागौरी व्रत को परिवार के सुख समृद्धि एवं दांपत्य सुख की प्राप्ति हेतु बहुत ही शुभ माना जाता है. देवी पार्वती का पूजन करने से व्यक्ति को अपने जीवन में उन सुखों की प्राप्ति होती है जो उसकी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. मंगला गौरी का व्रत विवाहित महिलाएं श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को रखती हैं. इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से मां गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति को बनाए रखने एवं किसी भी प्रकार के संकट से मुक्त रहने हेतु यह व्रत बहुत अनुकूल फल देने वाला होता है. इस बार अधिक मास होने के कारण कुल 9 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे.
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मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात देवी को नमस्कार करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत की शुरुआत शिवलिंग पर जल चढ़ाकर करनी चाहिए. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान माता पार्वती को अक्षत, कुमकुम, फूल, फल, माला और सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है. भगवान शिव को जनेऊ और श्वेत वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद धूप, दीप को जलाते हुए पूजा करनी चाहिए. पूजा में आरती कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए. जीवन साथी की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए अपने सुखी जीवन के लिए मंगला गौरी से प्रार्थना करनी चाहिए.
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मंगला गौरी व्रत लाभ
मंगला गौरी व्रत विवाहित महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों ही कर सकती है. अपने साथी की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला यह व्रत शुभ फलों को प्रदान करता है. इस व्रत को करने से माता पार्वती आपको सदैव भाग्यशाली रहने का आशीर्वाद देती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां शादी में आ रही बाधा को दूर करने के लिए यह व्रत रख कर विवाह का सुख पा सकती हैं.