मंत्र में छिपा है भगवान शिव का आशीर्वाद, सावन सोमवार को जरूर करें जापl
भगवान शिव की पूजा में नमः शिवाय में ना, मा ,शि, वा और या पांच अक्षर हैं.जब इन पांच अक्षरों का एक साथ जप किया जाता है, तो सृष्टि को नियंत्रित किया जा सकता हैl आइए हम आपको बताते हैं इसके बारे मेंl
शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा के पांच अक्षरों का उल्लेख है. नमः शिवाय में ना, मा, शि, वा और या पांच अक्षर हैं. भगवान शिव को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है. सृष्टि पांच तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु से बनी है और हर अक्षर का अपना अर्थ और महत्व है. शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के इन पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता हैl
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों का हल
‘न’ अक्षर का मतलब
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
इसका अर्थ है- इसका अर्थ नागेंद्र से है यानी नागों को धारण करने वाले. न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने से है. यानी नागों को गले में धारण करने वाले और नित्य शुद्ध रहने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार हैं. इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दशों दिशाओं में सुरक्षित रहता है. साथ ही इससे निर्भयता की प्राप्ति होती हैl
‘म’ अक्षर का मतलब
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नमः शिवायः।।
इसका अर्थ है- इस अक्षर का दूसरा अर्थ है ‘शिव महाकाल’ इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव से भी है.नदियों, पर्वतों और पुष्पों को नियंत्रित करने के कारण इस अक्षर का प्रयोग हुआ. क्योंकि ‘म’ अक्षर के अंदर ही प्रकृति की शक्ति विद्यमान हैl
‘श’ अक्षर का मतलब
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवायः॥
इसका अर्थ है- इस श्लोक में शिव की व्याख्या की गई है. इसका अर्थ शिव द्वारा शक्ति को धारण करने से है. ये परम कल्याणकारी अक्षर है. इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है. साथ ही शिव के साथ-साथ शक्ति की कृपा भी मिलती हैl
‘व’ अक्षर का मतलब
वषिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवायः॥
इसका अर्थ है-‘व’ अक्षर का संबंध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है. ये अक्षर शिव के प्रचंड स्वरूप को बताता है. इस नेत्र के द्वारा शिव इस सृष्टि को नियंत्रित करते हैं. इस अक्षर के प्रयोग से ग्रहों-नक्षत्रों को नियंत्रित किया जा सकता हैl
अब हर समस्या का मिलेगा समाधान, बस एक क्लिक से करें प्रसिद्ध ज्योतिषियों से बात
‘य’ अक्षर का मतलब
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै “य” काराय नमः शिवायः॥
इसका अर्थ है- भगवान शिव आदि-अनादि और अनंत है. जब सृष्टि नहीं थी तब भी शिव थे, जब सृष्टि है तब भी शिव है और जब सृष्टि नहीं रहेगी तब भी शिव विद्यमान रहेंगे.ये संपूर्णता का अक्षर है. यह अक्षर बताता है कि दुनिया में शिव का ही केवल नाम है. जब आप नमः शिवाय में य बोलते हैं तो इसका अर्थ है भगवान शिव आपको शिव की कृपा प्राप्त होती हैl
ये भी पढ़ें
- Jyotish Remedies: जानें सप्ताह के किस दिन कौन से रंग के वस्त्र धारण करना होता है शुभ
- Panchang 26 March 2022: आज के पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
- Panchang 24 March 2022: आज के पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
- Panchang 22 March 2022: आज के पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
- जानें किन 6 राशियों का भाग्य होगा उदय, कैसे चमकेगा भाग्य का सितारा
- Panchang January 24, 2022: आज के पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त और राहु काल का समय