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Lord Narsinh: इस धरती पर कहां है वह खंभा जिसमें से प्रकट हुए थे भगवान नरसिंह

Myjyotish Expert Updated 19 Mar 2022 02:38 PM IST
इस धरती पर कहां है वह खंभा जिसमें से प्रकट हुए थे भगवान नरसिंह
इस धरती पर कहां है वह खंभा जिसमें से प्रकट हुए थे भगवान नरसिंह - फोटो : google
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इस धरती पर कहां है वह खंभा जिसमें से प्रकट हुए थे भगवान नरसिंह


हिरण कश्यप को ब्रह्मा जी से वरदान मिला था कि उसे कोई भी ना धरती पर और ना आसमान में ,न भीतर और ना बाहर ,न सुबह और न रात में ,न देवता और असुर, न वानर और न मानव ,ना अस्त्र से और न शस्त्र से मार सकता है। इसी वरदान के चलते वह निरंकुश हो चला था।

वह खुद को भगवान मानता था लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद श्री हरि विष्णु का भक्त था। होलिका दहन के दिन बाद भी जब भक्त प्रहलाद की मौत नहीं हुई तो आखिरकार क्रोधित होकर हिरण कश्यप ने खुद ही प्रहलाद को मौत के घाट उतारने की ठानी।उसने 28 करते हुए कहा कि तू कहता है कि तेरा विष्णु सभी जगह है तो क्या इस खंभे में भी है? ऐसे कहते हुए हिरण कश्यप खंभे में एक लात मार देता है। तभी उस खंभे से विष्णु जी नरसिंह अवतार लेकर प्रकट होते हैं और उनका सब का वध कर देते हैं। लोक मान्यता है कि वह टूटा हुआ खंभा अभी भी मौजूद है।
 

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माणिक्य स्तंभ: कहते हैं कि बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में वह स्थान मौजूद है जहां असुर हिरण कश्यप का वध हुआ था। हिरण्यकश्यप की सीट अलीगढ़ स्थित किले में भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार हुआ था ।वह आज भी मौजूद है, जिसे माणिक्य स्तंभ कहा जाता है।

कहा जाता है कि इस स्तंभ को कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया लेकिन वह चूक आ तो गया लेकिन टूटा नहीं। इस खंभे से कुछ दूर पर ही हिरण नामक नदी बहती है। कहते हैं कि नरसिंह स्थान के क्षेत्र में पत्थर डालने से वह पत्थर हिरण नदी में पहुंच जाता है। हालांकि अब ऐसा होता है या नहीं यह कोई नहीं जानता है। माणिक्य स्तंभ की देखरेख के लिए देखरेख के लिए यहां पर प्रहलाद स्थान विकास ट्रस्ट भी है। ।यहां के लोगों का कहना है कि इस स्थान का जिक्र भागवत पुराण के सप्तम असंध के अष्टम अध्याय में मिलता है।

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इस स्थल की विशेषता है कि यहां राख और मिट्टी से होली खेली जाती है। कहते हैं कि जब होलिका जल गई और भक्त प्रहलाद चीता से सकुशल वापस निकल आए तब लोगों ने राख और मिट्टी एक दूसरे पर लगा लगा कर खुशियां मनाई थी ।इस क्षेत्र में मशहूर जाति की बोलता है जिनका उपनाम ऋषि देव है।

यहीं पर एक विशाल मंदिर है जिसे भीमेश्वर महादेव का मंदिर कहते हैं। यहीं पर हिरण कश्यप ने घोर तप किया था ।जनश्रुति के अनुसार हिरण कश्यप का भाई हिरण्याक्ष बड़ा क्षेत्र का राजा था यह क्षेत्र अब नेपाल में पड़ता है।

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