myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Lakhimpur kheri: Worship at the frog temple of Lakhimpur kheri gives the desired fruit

Lakhimpur kheri: लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर में पूजा से मिलता है मनचाहा फल

Myjyotish Expert Updated 25 Feb 2022 04:47 PM IST
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर में पूजा से मिलता है मनचाहा फल
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर में पूजा से मिलता है मनचाहा फल - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन

लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर में पूजा से मिलता है मनचाहा फल


उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के ओयल में एक मंदिर ऐसा है जहाँ मेंढक की पूजा की जाती है। दरअसल मंदिर मांडूक तंत्र पर आधारित है। इस मंदिर में शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। आपको बता दे इस मंदिर का निर्माण 200 साल पहले कराया गया था। सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने ने लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की ये रंग बदलता है। भारत संस्कृति और सभयता का देश है यह आपको भिन्न भिन्न प्रकार के मंदिर देखने को मिलेंगे पर इस मंदिर की खास बात ये है कि इसमें जो खड़ी नदी की मूर्ति है वो आपको कही और किसी और मंदिर में देखने को नही मिलेगी।

Mahakaal Temple Ujjain: महाकाल मंदिर अकेला एक ऎसा मंदिर, जिसके परिसर में प्रमुख 42 देवताओं के मंदिर विराजमान 


बात करे मंदिर की दीवारों की तो आपको वह एक कला का प्रदर्शन देखने को मिलेगा। मंदिर की दीवारों पर तांत्रिक देवी - देवताओं की मूर्तियों के साथ साथ कई विचित्र चित्र भी देखने को मिलेंगे जो कि इस मंदिर की खूबसूरती और खासियत है। इस मंदिर के सामने ही मेंढक की मूर्ति है और पीछे भगवान शिव का पवित्र स्थल है, जो कि एक गुंबद के साथ चौकोर आकार में बना हुआ है। 
बात करे इस मंदिर के इतिहास की तो यह मंदिर अपने साथ कई पुरानी इतिहासिक कहानियों को समेटे हुए है। इस मंदिर का निर्माण ओयल शासकों ने करवाया था। यह मेंढक मंदिर ओयल शैव साम्राज्य का एक केंद्र हुआ करता था। इस मंदिर में भगवान शिव पीठासीन है इसलिए इसे उत्तर प्रदेश के नर्मदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बात दे इस मेंढक मंदिर में रोज हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते है। दीपावली और शिवरात्रि के दिन यहां दृश्य देखतेही बनता है। मान्यता है कि यह पर जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से आता है वो कभी भी यह से खाली हाथ नही लौटता है। यह पर जो भी भक्त पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हिती है और वो यह से मनचाहा फल प्राप्त करता है।
 

लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए इस शिवरात्रि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में कराएं रुद्राभिषेक : 1 मार्च 2022
 

यह मंदिर 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा था। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे मंदिर का निर्माण कराया था।कहते हैं कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण लोगों का मनमोह लेती है।

जैसा कि आप जानते है शिवरात्रि बहुत नजदीक है तो आप भी जरूर जाए इस मंदिर में और पूरी श्रद्धा से पूजा करे और मनवांछित फल पाये।

अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।

अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।

यह भी पढ़ें :- 

बीमारियों से बचाव के लिए भवन वास्तु के कुछ खास उपाय !  

क्यों मनाई जाती हैं कुम्भ संक्रांति ? जानें इससे जुड़ा यह ख़ास तथ्य !

जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है



 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X