खास बातें
Krishna Arti: कुंज बिहारी जी की आरती से दूर हो जाते हैं सभी दुख दर्दभगवान श्री कृष्ण का पूजन भक्तों के द्वारा भक्त भाव के साथ किया जाता है. भगवान के सुमरिन और भजन में जब बात आती है भगवान की आरती की तो कुंजबिहारी जी की आरती भक्तों के दिलों में ऎसे समाहित है जैसे देह में प्राण का होना.
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भगवान श्री कृष्ण का पूजन भक्तों के द्वारा भक्त भाव के साथ किया जाता है. भगवान के सुमरिन और भजन में जब बात आती है भगवान की आरती की तो कुंजबिहारी जी की आरती भक्तों के दिलों में ऎसे समाहित है जैसे देह में प्राण का होना.
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भगवान के नाम सुमिरन को लेकर भजन के साथ आरती इत्यादि का पाठ जीवन में शुभता दिलाता है. कुंज बिहारी की आरती का रंग जीवन को सौंदर्य से भर देने वाला होता है. इस आरती का पाठ करने से सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति के साथ जीवन में नकारात्मक तत्व दूर होते चले जाते हैं.
कुंज बिहारी जी की आरती का प्रभाव
कुंज बिहारी जी की आरती के अर्थों में भगवान के संपूर्ण जीवन का भी स्वरुप झलकता है. शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो माह की अष्टमी को आधी रात को हुआ था. इन में से कुछ बातें हम सि आरती के अंदर देख पाते हैं.
Aarti Kunj Bihari Ki धर्म शास्त्रों में कहा भी गया है कि आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. इस स्थिति में भगवान श्री कृष्ण के पूजन के साथ आरती करने का विधान भी रहा है. भगवान का पूजन करने के साथ ही कई लोग व्रत भी रखते हैं. श्री कृष्ण की विशेष पूजा में आरती का विशेष स्थान रहा है.
कुंज बिहारी जी की आरती का प्रभाव
जीवन में होने वाले दुख दर्द से दूर होने के लिए इस आरती का पाठ करना उत्तम माना गया है. इस आरती के वचन से बहुत शुभ प्रभाव जीवन को प्रदान होते हैं.
कुंज बिहारी जी की आरती के अर्थों में भगवान के संपूर्ण जीवन का भी स्वरुप झलकता है. शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो माह की अष्टमी को आधी रात को हुआ था. इन में से कुछ बातें हम सि आरती के अंदर देख पाते हैं.
इसके साथ ही इस आरती में भगवान एक सुंदर स्वरुप का वर्णन ही मिलता है. भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का सुंदर रुप है. कृष्ण के जन्म एवं उनके सुंदर श्रृंगार किया की झलक मिलती है. धर्म शास्त्र के जानकारों के अनुसार आरती करने से घर में व्याप्त सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. सुख-समृद्धि और धन-संपदा में भी वृद्धि होती है. अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा के भागीदार बनना चाहते हैं तो रोज सुबह पूजा के दौरान कुंजबिहारी जी की आरती करें.
प्रतिदिन के दौरान कुंजबिहारी जी की आरती करने से समस्त सुख एवं शुभ फल प्राप्त होते हैं.
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कुंजबिहारी की आरती Aarti Kunj Bihari Ki
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला.
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला.
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली.
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की.
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं.
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा.
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्री बनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू.
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद..
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥