हिंदू धर्म में त्योहारों का बहुत ही विशेष महत्व होता हैं। अगर हम बात करें जगन्नाथ रथ यात्रा की तो इस यात्रा को लोगों बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक यह त्योहार हर साल आषाढ़ के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जगन्नाथ रथ यात्रा को निकाला जाता है। इस यात्रा की शुरूआत उड़ीसे प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से होती है। यात्रा में लाखों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस शोभायात्रा में भाग नहीं ले पाएंगे।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ इस शुभ जगन्नाथ यात्रा का धूमधाम से आयोजन किया जाता है। यह विशाल रथ 10 दिनों के लिए मंदिर से बाहर निकलता है।
बता दें कि इस यात्रा में सबसे पहले बलभद्र का रथ चलता है जिसे तालध्वज कहा जाता है। बीच में सुभद्रा का रथ चलता है जिसे दर्पदलन या या पद्म रथ कहा जाता है और फिर सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ रहता है जिसे नंदी घोष कहा जाता है।
जगन्नाथ यात्रा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह यात्रा 12 जुलाई से शुरू हो जाएगी और उसी के साथ 20 जुलाई देवशयनी एकादशी को समाप्त हो जाएगी। मान्यताओं के अनुसार यात्रा को शुरू करने से पहले भक्त भगवान जगन्नाथ के प्रसिद्ध गुंडिया माता के मंदिर में पूजा-पाठ करने जाते हैं।
जगन्नाथ यात्रा का महत्व-
कहते है कि इस यात्रा को देखने मात्र से ही लोगों के सभी दुख दूर हो जाते है और साथ ही पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि मृत्यु के बाद लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चार धामों में से एक है जगन्नाथ मंदिर-
ये तो आप जानते ही होंगे की जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र चार धामों में से एक माना जाता है। कहते है कि यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है और लोगों दूर दूर से इस मंदिर को दर्शन करने आते है। इसी के साथ भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।