हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है और यह महा में 2 बार आते है और साल में 24 बार इस व्रत को रखा जाता है। सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से लोगों को मोक्ष की प्राप्त होती है और साथ ही इस व्रत को सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
बता दें कि अगर आप हर माह में 2 बार आने वाले इस एकादशी व्रत को नहीं रख पाते है, तो आप एक निर्जला एकादशी व्रत रख सकते है। इस जेठ मास में आने वाले व्रत को निर्जला एकादशी व्रत कहते है। शास्त्रों के मुताबिक इस साल का निर्जला एकादशी व्रत 21 जून को रखा जाएंगा। कहते है कि बाकी व्रतों के मुकाबले इस निर्जला एकादशी व्रत को रखने के नियम बहुत ही कठिन होते है और साथ ही जितने इस व्रत के नियम कठिन होते है उतना ही यह व्रत लोगों के लिए लाभदायक होता है।
तो आइए आज हम जानते हैं इस एकादशी व्रत के बारे में-
निर्जला एकादशी व्रत की शुरुआत-
शास्त्रों में कहा गया हैं कि महाभारत काल में राजा पांडु के घर में सभी सदस्य एकादशी का व्रत रखते थे, लेकिन भीम इस व्रत को नहीं रख पाते थे। इस बात भीम बहुत ही दुखी रहते थे। इसलिए भीम इस समस्या का हल निकालने महर्षि व्यास के पास गए। तब व्यास जी ने कहां की मोक्ष प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत रखना बहुत ही जरूरी है, लेकिन आप हर माह में 2 बार आने वाले एकादशी व्रत को नहीं रख पाता है, तो आप जेठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत को निर्जला रखें और इस व्रत को रखने के बहुत ही कठिन नियम होते है। नियमों अनुसार इस व्रत को रखने से आपको 24 एकादशियों व्रत का फल प्राप्त होंगा। भीम इस व्रत को रखने के लिए तैयार हो गए और इस निर्जला व्रत को रखने लगें। जब से ही जेठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले एकादशी व्रत को भीम एकादशी व्रत भी कहां जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत को रखने के कठिन नियम-
इस एकादशी व्रत को निर्जला रखा जाता है। इसमें ना अन्न का दान और का नहीं पानी की एक बूंदी गले से नीचे नहीं जानी चाहिए। केवल जब कुल्ला या आचमन करते समय मुख में पानी रख सकते है। इसके अलावा नहीं। अन्यथा यह व्रत भंग हो जाएगा। इस व्रत को सूर्योदय से शुरू होकर और अलगे दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। उसके बाद द्वादशी को सुबह स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन आदि कराएं। इच्छा अनुसार उन्हें दान दें। इसके बाद आप व्रत का पारण करें।
निर्जला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त-
निर्जला एकादशी व्रत : 21 जून 2021
एकादशी व्रत शुरू : 20 जून को शाम 04 बजकर 21 मिनट से
एकादशी व्रत समाप्त : 21 जून दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
व्रत पारण का समय : 22 जून सुबह 5 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक।