कर्क संक्रांति कब है? जाने इसका महत्व और इस दिन किए जाने वाले कारगर उपाय
संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे प्रेवश. सौर मास का आरंभ इसी संक्रांति से होता है. सूर्य जब भी एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो वह समय सूर्य संक्रमण का समय होता है जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टियों से काफी महत्व रखता है. कर्क संक्रांति भगवान सूर्य की दक्षिणी यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होती है. दक्षिणायन, जो छह महीने का होता है, कारक संक्रांति से शुरू होता है. कर्क संक्रांति के समय पूजा पाठ, दान कर्म की गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि छह महीने के इस चरण के दौरान देवता सो जाते हैं.
इस दिन, भक्त महाविष्णु को ध्यान में रखते हुए उपवास रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं, तथा आशीर्वाद पाते हैं. देव शायनी कर्क संक्रांति के दिनों में आती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अन्न और वस्त्र दान करना बहुत फलदायी होता है. इस वर्ष कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2022 शनिवार को मनाई जाएगी. आइए अब जानते हैं कारक संक्रांति से जुड़े विभिन्न तथ्य.
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कर्क संक्रांति 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त समय
कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2022 शनिवार को मनाई जाएगी. कर्क संक्रांति पुण्य काल दोपहर 12:46 बजे से शाम 07:28 बजे तक रहेगा. जिसकी अवधि 06 घंटे 42 मिनट तक होगी. कर्क संक्रांति का महा पुण्य काल 05:14 अपराह्न से 07:28 अपराह्न में होगा जो 02 घंटे 14 मिनट अवधि का होगा. कर्क संक्रांति क्षण का समय 11:11 अपराह्न होगा.
कर्क संक्रांति में किए जाने वाले कार्य
कर्क संक्रांति का समय दान कार्यों और उपासना साधना का होता है.
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ दान-पुण्य और पितरों के निमित दान करना अत्यंत शुभदायक होता है. ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रांति के समय दान देना उत्तम फलदायक होता है और शुभ कर्मों की वृद्धि होती है.
दान के लिए यह उपयुक्त समय अवधि कर्क संक्रांति पुण्य काल या कहें संक्रांति महापुण्य काल के रूप में जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस संक्रांति काल में हम जो दान-पुण्य करते हैं, उसका कई गुना फल शीघ्र मिलता है.
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इस दिन पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का जाप करना चाहिए. ऎसा करना शांति और सौभाग्य लाता है.
इस दिन सामर्थ्य अनुसार अनाज, कपड़े और तेल सहित सभी प्रकार का दान करना चाहिए.
कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु के साथ-साथ सूर्य देव की भी आराधना स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है.
कर्क संक्रांति का महत्व
कर्क संक्रांति मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, साथ ही कृषि गतिविधियों का समय भी महत्वपूर्ण होता है. दक्षिणायन मकर संक्रांति के साथ समाप्त होता है, और उसके बाद उत्तरायण शुरू होता है. कर्क से दक्षिणायन शुरु होता है और दक्षिणायन के चार महीनों के दौरान, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. जो लोग अपने पूर्वजों के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं, वे कर्म संक्रांति की प्रतीक्षा करते हैं जो पितरों को शांति प्रदान करता है. इस समय किए जाने वाले पूजा पाठ जप साधना अत्यंत फलदायी होती हैं.
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