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Home ›   Blogs Hindi ›   Kalashtami July date: Know when Sawan Kalashtami will be celebrated and the importance of fasting

Kalashtami July date : जानिए कब माई जाएगी सावन कालाष्टमी और व्रत का महत्व

Acharya RajRani Updated 08 Jul 2023 11:01 AM IST
Kalashtami July date : जानिए कब माई जाएगी सावन कालाष्टमी और व्रत का महत्व
Kalashtami July date : जानिए कब माई जाएगी सावन कालाष्टमी और व्रत का महत्व - फोटो : google
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कालाष्टमी का पर्व भैरव पूजा का विशेष समय होता है. काल भैरव की पूजा द्वारा सभी भय समाप्त होते हैं तथा जीवन में अकाल मृत्यु एवं रोगों से  मुक्ति मिलती है. हिंदू पंचांग अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रुप में मनाया जाता है. कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के कालभैरव स्वरूप की पूजा का विधान है. इस दिन काल भैरव के पूजन को करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 

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हिंदू पंचाग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समय भगवान शिव के कालभैरव पूजन के लिए विशिष्ट होता है. सावन माह की कालाष्टमी 09 जुलाई, रविवार को है. इस दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा का विधान है.

मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर ने काल भैरव का रूप धारण किया था. इस दिन विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए व्रत रखा जाता है. तंत्र मंत्र के साधकों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. सावन माह में कालाष्टमी का होना बेहद विशेष होता है. 

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सावन कालाष्टमी 2023 मुहूर्त एवं योग
पंचांग के अनुसार सावन माह की कालाष्टमी 09 जुलाई को मनाई जाएगी. अष्टमी तिथि 9 जुलाई को रात 8 बजे से शुरू होगी और 10 जुलाई को शाम 19.44 बजे तक रहेगी. रात्रिकाल पूजन के लिए 9 जुलाई का दिन कालाष्टमी के लिए महत्वपूर्ण होगा.

इस समय शिव के ही स्वरूप काल भैरव की पूजा का विधान है. कालाष्टमी व्रत करने से मन से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं. ऐसे लोग जिन्हें बुरे सपने आते हैं उन्हें कालाष्टमी का व्रत करने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है.

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सावन कालाष्टमी पूजा विधि
सावन माह भगवान शिव का माह होता है इस कारण इस दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा की जाती है. सुबह स्नान करके चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता पार्वती और गणेश जी के साथ भगवान शंकर की तस्वीर स्थापित करते हुए भगवान काल भैरव का आहवान करना चाहिए.

इस दिन भगवान शंकर को विशेष रूप से नीले रंग के फूल अर्पित करने शुभ होते हैं. इसके अलावा काले तिलों को पूजा में शामिल करना चाहिए. मीठी वस्तुओं को भोग स्वरुप अर्पित करना चाहिए. व्रत धारण करने वाले को शाम के समय पूजन करने के पश्चात भगवान के निमित्त दान का कार्य भी करना चाहिए. भगवान काल भैरव के मंत्रों का जाप करते हुए व्रत को संपूर्ण करना चाहिए.  

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