कालाष्टमी पूजा का महत्व
मान्यता है कि जो व्यक्ति कालाष्टमी उपवास और पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। ऐसे मुश्किल कार्य भी हो जाते हैं जिनकी बहुत समय से पूर्ति नहीं हो पा रही हो। कालभैरव का भयंकर है। लेकिन अपने भक्तों के लिए वो दयालु और कल्याणकारी हैं। कहा जाता है कि इस दिन भैरव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। साथ ही इस दिन कुत्ते को भोजन अवश्य कराया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो भैरव प्रसन्न हो जाते हैं। क्योंकि कुत्ता भैरव का वाहन होता है। इस दिन कुत्ते को भोजन देने का विशेष महत्व होता है।
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कालाष्टमी पूजन विधि
नारद पुराण में वर्णित है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए। रात्रि को मां काली की उपासना करने वालों को आधी रात के बाद मां की पूजा उसी प्रकार करनी चाहिए जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा होती है। इस दिन रात में माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनी जाती है तथा जागरण का आयोजन भी किया जाता है। कालभैरन की सवारी कुत्ते को माना जाता है। इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन देना शुभ होता है।
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