क्या है नौतपा और कब से होगा आरंभ
नौतपा का सीधा संबंध भगवान सूर्य से होता है। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने लगता है तब नौतपा आरंभ होता है। सूर्य ग्रह 15 दिन तक रोहिणी नक्षत्र में होता है। इस 15 दिन की अवधि के 9 दिन में भीषण गर्मी पड़ती है। यही कारण है कि यह 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले दिन होते हैं जिन्हें नौतपा के नाम से जाना जाता है। यह हर वर्ष पड़ता हैं और इस वर्ष 2022 में नौतपा 25 मई से आरंभ होगा। 25 मई बुधवार के दिन सूर्य सुबह 8:16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 8 जून की सुबह 6:40 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में ही रहेगा। इस बार की यह अवधि 14 दिन की होगी। आज हम आपको इस लेख में नौतपा से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे
नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर प्रभाव डालती है जिसके कारण भीषण गर्मी पड़ती है। यदि नौतपा के दौरान प्रचंड गर्मी होती है तो कहते हैं कि मॉनसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं।
यदि इन नौ दिनों के दौरान बारिश हो जाती है तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है और इसे नौतपा का गलना कहा जाता है। यदि नौतपा गल जाता है तो अच्छे मॉनसून की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इसलिए कहते हैं कि नौतपा में जितनी भीषण गर्मी पड़ती है उतनी ही अच्छी बारिश का संकेत होता है।
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नौतपा के दौरान भीषण गर्मी पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति बीमार भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि नौतपा के दौरान अपने आप को भीषण गर्मी के प्रभाव से बचाने के लिए क्या करना उचित रहेगा।
सबसे पहले ध्यान रखें जब भी आप घर से बाहर निकले इन नौ दिनों की समय अवधि के दौरान तो बिना कुछ खाये पिये घर से बाहर न निकलें। साथ ही पूरी बाजू के कपड़े पहने सिर को, आँखों को और कानों को ढक कर रखें। जितना संभव हो उतना अधिक पानी पियें ताकि पसीना आता रहे और शरीर का तापमान नियमित बना रहे साथ ही शरीर में पानी की कमी न हो। कभी भी एकदम ऐ०सी० से निकलकर धूप में ना जाएं या धूप से निकलकर एकदम ऐ०सी० में न बैठें।
नौतपा के दौरान लू अत्यधिक बढ़ जाती है ऐसे में प्याज सबसे फायदेमंद है। प्याज एक ऐसा पदार्थ है जो लू के प्रभाव को कम करता है इसलिए अपने खाने में प्याज का उपयोग करें और अपने साथ भी प्याज रखें। लू लगने के क्या क्या लक्षण होते हैं उनकी जानकारी ले लें। यदि आपको इनमें से कोई लक्षण दिखे तो आप बिना देर करें डॉक्टर के पास चले जाए।
साथ ही मौसमी फल और रसीले फलों का सेवन करें। दूध, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरा, लस्सी, आम पन्ना, फलों का रस आदि जलीय पदार्थों का सेवन करते रहें।
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तले हुए और मसालेदार भोजन से दूर रहें। हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन करें ताकि आपका पेट खराब न हो।
समय समय पर उर्जा को बढ़ाने वाली वस्तुएं जैसे कि गुलकोस का सेवन करते रहें।
इस समय में नरम, मुलायम सूती कपड़े पहनना सबसे उत्तम माना जाता है। इस समय के दौरान ऐसे कपड़ों का चयन करें जिससे शरीर को हवा लगती रहे और साथ ही शरीर का पसीना भी सूखता रहे।
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