कार्यालय के लिए वास्तु निर्देश बदल सकते हैं आपका भाग्य
छोटा व्यवसाय हो या फिर बड़े उद्योग सभी का मुख्य उद्देश्य होता है अच्छा निर्माण एवं अच्छा लाभ. यदि उत्पाद की गुणवत्ता उत्तम होगी तो उसकी बिक्री भी अच्छी होगी लेकिन कई बार अच्छे निर्माण एवं लगातार परिश्रम के बावजूद भी बेहतर लाभ प्राप्ति कर पाना अत्यंत कठिन हो जाता है. इसके पिछे उस स्थान की वास्तु स्थिति भी बहुत निर्भर करती हैं. वास्तु शास्त्र अनुसार यदि स्थान एवं स्थान में उपयुक्त वस्तुओं की स्थिति शुभस्थ न हो तो ऎसे में व्यापार द्वारा अनुकूल लाभ प्राप्ति में बाधा का सामना करना पड़ सकता है. ऎसी स्थिति में वास्तु शास्त्र जो ज्योतिष की ही एक शाखा है इसमें कई प्रकार के नियमों एवं निर्देशों का वर्णन किया गया है जो स्थान की शुभता को कैसे व्यक्ति विशेष के लिए अनुकूल बनाया जाए.
एक अच्छे व्यवसाय एवं उसके द्वारा अच्छे लाभ पाने के लिए व्यवसाय क्षेत्र के वास्तु शास्त्र को समझना भी अत्यंत आवश्यक होता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे प्राचीन वास्तु शास्त्र में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है. वास्तु शास्त्र में बताए गए टिप्स कार्यालय की आवश्यक चीजों को सही दिशा में रखने से होने वाले घाटे या नुकसान को कम करने में बहुत सहायक होते हैं. वास्तु द्वारा बताए गए नियम काम के स्थान पर शांति और सकारात्मकता लाने में सहायक बनते हैं.
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जैसे वास्तु अनुसार शेरमुखी भूमि का एक टुकड़ा कारखानों, व्यावसायिक इकाइयों, वाणिज्यिक परिसरों या कार्यालयों की स्थापना के लिए उपयुक्त माना जाता है. ये भूखंड आगे के हिस्से में चौड़े और पीछे हिस्से से संकरे होते हैं. इसी तरह के अन्य कई दिशा निर्देश यहां मौजूद होते हैं जो उचित स्थिति का प्रभाव दिखाते हैं. अच्छे लाभ की शुरुआत करने के लिए, आइए कार्यस्थल पर पालन किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण वास्तु सुझावों को जानें.
वास्तु दिशानिर्देश
कार्यालय का प्रवेश द्वार हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए.माना जाता है कि ये दिशाएं सकारात्मकता और भाग्य लाती हैं. उत्तर दिशा धन के स्वामी कुबेर की दिशा है, इसलिए वित्तीय विकास को गति देती है.व्यापार मालिकों को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर मुंह करके बैठना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं विकास और नए अवसरों की पुष्टि करती हैं.
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विपणन और बिक्री विभाग की बैठक के लिए उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशाओं का उपयोग किया जाना चाहिए.लेखा विभाग में कार्यरत लोगों को दक्षिण-पूर्वी कोने में उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. प्रबंधकों और वीआईपी कर्मियों को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए और उत्तर-पूर्व दिशा का सामना करना चाहिए. मालिकों को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए. कुर्सी के पीछे दीवार नहीं बल्कि लकड़ी का डिवाइडर या पर्दा होना चाहिए. निदेशकों, प्रबंधकों और नेताओं को कार्यालय के दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में बैठना चाहिए.
इससे बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है. वस्तु उत्पादकता में सुधार के लिए, कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय उत्तर या पूर्व का सामना करना चाहिए. कर्मचारियों पर सीधी रोशनी से बचना चाहिए और लकड़ी की परिधि होनी चाहिए.
जहां कार्य करते हैं उस डेस्क पर कभी नहीं सोना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है. महत्वपूर्ण कागजात और दस्तावेजों को छाँटकर एक स्थान में रखना चाहिए. साथ ही सभी प्रकार की आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए खराब स्टेशनरी को भी दूर कर देना चाहिए. वास्तु अनुसार किए जाने वाले ये कुछ उपाय व्यापार के लिए अनुकूल फल देने में सक्षम होते हैं.
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