खास बातें
Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के पूजन के साथ नामों का कर सकते हैं जाप। मंगलवार के दिन भौम प्रदोष का पूजन होगा और इस पूजन से दूर होगा मंगल दोष। प्रदोष की तिथि मंगल के सात जुड़ जाने से मंगल देव का शुभ आशीष भी प्राप्त होगा।
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First Pradosh Vrat Of June : 4 जून 2024 को मंगलवार के दिन जून माह का पहला प्रदोष व्रत होगा। जून माह का ये पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन होगा इस कारण यह प्रदोष व्रत मंगल दोष शांति के लिए विशेष होगा।
Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के पूजन के साथ नामों का कर सकते हैं जाप। मंगलवार के दिन भौम प्रदोष का पूजन होगा और इस पूजन से दूर होगा मंगल दोष। प्रदोष की तिथि मंगल के सात जुड़ जाने से मंगल देव का शुभ आशीष भी प्राप्त होगा।
हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से एक है प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत जिस खास दिन होता है उस दिन यदि कुछ कार्यों को किया जाए तो कई तरह से ग्रह शुभता मिलती है। जैसे की इस बार मंगलवार को प्रदोष व्रत होगा. जो मंगल शांति के लिए बहुत शुभ होगा। इसी के साथ इस दिन देवी के मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करने से मंगल दोष की अशुभता भी दूर होगी। आइये जान लेते हैं प्रदोष व्रत की महिमा और मंगल दोष से कैसे पाएं मुक्ति।
Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के पूजन के साथ नामों का कर सकते हैं जाप। मंगलवार के दिन भौम प्रदोष का पूजन होगा और इस पूजन से दूर होगा मंगल दोष। प्रदोष की तिथि मंगल के सात जुड़ जाने से मंगल देव का शुभ आशीष भी प्राप्त होगा।
हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से एक है प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत जिस खास दिन होता है उस दिन यदि कुछ कार्यों को किया जाए तो कई तरह से ग्रह शुभता मिलती है। जैसे की इस बार मंगलवार को प्रदोष व्रत होगा. जो मंगल शांति के लिए बहुत शुभ होगा। इसी के साथ इस दिन देवी के मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करने से मंगल दोष की अशुभता भी दूर होगी। आइये जान लेते हैं प्रदोष व्रत की महिमा और मंगल दोष से कैसे पाएं मुक्ति।
प्रदोष व्रत से दूर होंगे ग्रह दोष
इस बार जून माह का पहला प्रदोष व्रत 4 जून 2024 को मंगलवार के दिन को रखा जाएगा। हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि अगर प्रदोष व्रत के दिन पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा की जाए तो भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
मंगल प्रदोष व्रत रखने से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। मंगल दोष शांत होता है। ग्रह शांति मिलती है और आरोग्य का वरदान भी मिलता है। इस दिन देवी के स्त्रोत का पाठ शुभ होता है। प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है और इस व्रत में भोलेनाथ का पूजन देवी पूजन करना बेहद फलदायी माना जाता है।
मंगल चण्डिका स्तोत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्व-पूज्ये देवि मंगल-चण्डिके ऐं क्रू फट् स्वाहा
ॐ ह्रीं श्रीम क्लीं सर्व-पूज्ये देवि मंगल-चण्डिके। हूं हूं फट् स्वाहा
ध्यान :
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
सर्वरुपगुणाढ्यां च कोमलांगीं मनोहराम्॥
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
श्वेतचम्पकवर्णाभा चन्द्रकोटि-समप्रभाम्।
वह्निशुद्धांशुकाधानां रत्नभूषणभूषिताम्॥
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
बिभ्रतीं कवरीभारं मल्लिकामाल्यभूषितम्।
विम्बोष्ठीं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम्॥
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
ईषद्धास्यप्रसन्नास्यां सुनीलोत्पललोचनाम्।
जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसम्पदाम्॥
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे॥
देव्याश्च द्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने।
प्रयतः संकटग्रस्तो येन तुष्टाव शंकरः॥
देवीं षोड्शवष यां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
शंकर उवाच :
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
हारिके विपदां राशेर्हर्ष-मंगल-कारिके॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
हर्ष –मंगल –दक्षे चहर्ष-मंगल-चण्डिके।
शुभे मंगल-दक्षे च शुभ-मंगल-चण्डिके॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
मंगले मंगलार्हे चसर्व-मंगल-मंगले।
सतां मंगलदे देवि सर्वेषां मंगलालये॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
पूज्या मंगलवारे च मंगलाभीष्ट-दैवते।
पूज्ये मंगल-भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
मंगलाधिष्ठातृदेविमंगलानां च मंगले।
संसार-मंगलाधारे मोक्ष –मंगल -दायिनी॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
सारे च मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्।
प्रतिमंगलवारे च पूज्ये च मंगलप्रदे॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
स्तोत्रेणानेनशम्भुश्चस्तुत्वा मंगलचण्डिकाम्।
प्रतिमंगलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
देव्याश्च मंगल-स्तोत्रं यं श्रृणोति समाहितः।
तन्मंगलं भवेच्छश्वन्न भवेत्तदमंगलम्॥
रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
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