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Chanakya Neeti: बच्चों को बनाना चाहते हैं संस्कारी और सफल, तो चाणक्य नीति की इन बातों का रखें ध्यान

Myjyotish Expert Updated 15 Mar 2022 04:32 PM IST
बच्चों को बनाना चाहते हैं संस्कारी और सफल, तो चाणक्य नीति की इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों को बनाना चाहते हैं संस्कारी और सफल, तो चाणक्य नीति की इन बातों का रखें ध्यान - फोटो : google
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बच्चों को बनाना चाहते हैं संस्कारी और सफल, तो चाणक्य नीति की इन बातों का रखें ध्यान


जब आपका बच्चा 10 साल से लेकर 15 साल तक की आयु का हो तो बहुत सारी चीजों को समझने लायक हो हीं जाते हैं। इसलिए उनके साथ थोड़ी सख्ती बरती जा सकती है, क्योंकि सभी माता -पिता चाहते हैं उनके बच्चे सही आदतें अपनाएं और जीवन में अच्छी राह पर चलकर आगे बढ़े।इसके लिए वो बचपन से हीं इसी कोशिश में लग जाते हैं कि उनका बच्चा कोई गलत संगत में ना पड़े। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतियों में बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र किया है। तो आइए जानते हैं कि अपने बच्चों को संस्कारी और सफल बनाने के लिए मां बाप को क्या सावधानी रखनी चाहिए...

1. चाणक्य नीति के अनुसार बचपन में बच्चे कच्चे मिट्टी जैसे होते हैं। इसलिए मां बाप को पांच वर्ष की आयु तक बच्चे को खूब प्यार और समझदारी से पालना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में बच्चे अबोध होते हैं उनकी सोचने की क्षमता बहुत कम होती है। उन्हे सही गलत की कोई समझ नहीं होती है। इसलिए अगर बच्चे कोई भी गलती कर भी दे तो उन्हे फटकार लगाकर नहीं समझाएं।

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2. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब बच्चा पांच साल का हो जाता है तो वह चीजों को थोड़ा सा समझना शुरू कर देता है। इसलिए इस आयु में आप गलती करने पर थोड़ी सी फटकार लगा सकते हैं। यानी की बच्चों को दुलार के साथ साथ थोड़ी डांट की भी आवश्यकता होती है  और ये जरूरी भी है वरना यही बच्चे बाद में अच्छे संस्कार नहीं सिख पाते हैं।

3.जब आपका बच्चा 10 साल से लेकर 15 साल की आयु तक हो तो बच्चे बहुत सारी चीजों को समझने के लायक हो जाते हैं। इसलिए उनके साथ थोड़ी सख्ती बरती जा सकती है, क्योंकि अगर बच्चे किसी गलत चीज को लेकर जिद करें और प्यार के समझने के बाद भी न माने तो उनके साथ थोडा सख्त हुआ जा सकता है। लेकिन इस बात का विशेष ख्याल रखें की मां बाप अपने बच्चों को कोई अमर्यादित बात न कह दें। वरना बच्चों पर इसका उल्टा असर पड़ता है। इसके साथ-साथ एक बात चाहे माता -पिता हो या बच्चे दोनो की एक अपनी सीमा है और उस सीमा का हमे पालन करना चाहिए।

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4. चाणक्य नीति में जिक्र है कि अगर बच्चा 16 साल की उम्र तक पहुंच जाए तो आप कोशिश करे की आप उसके साथ हमेशा मित्र की तरह बर्ताव करें।क्योंकि यह एक नाजुक उम्र होती है और इस आयु में बच्चे डांट फटकार का बहुत गलत मतलब निकाल सकते हैं। इसलिए एक दोस्त की तरह उसके विचारों को समझने की कोशिश करें। इसके लिए आपको परिवर्तन को स्वीकारने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।


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