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Home ›   Blogs Hindi ›   Holika Dahan Story: Worship Holika Mata with this narrative.

Holika Dahan Katha  : होलिका दहन के दिन इस कथा से होती है होलिका माता की पूजा

Acharya Rajrani Sharma Updated 23 Mar 2024 12:30 PM IST
Holika
Holika - फोटो : google

खास बातें

Holika dahan होलिका दहन के दिन कथा अनुसार पूजा द्वारा मिलता है पूजा का पूर्ण लाभ. होलिका माता की पूजा में होलिका कथा का पाठ करने से दूर होते हैं सभी कष्ट. holika dahan के समय किया गया पूजन एवं कथा पाठ दिलाता है पूजा का संपूर्ण फल. 
 
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Holika dahan होलिका दहन के दिन कथा अनुसार पूजा द्वारा मिलता है पूजा का पूर्ण लाभ. होलिका माता की पूजा में होलिका कथा का पाठ करने से दूर होते हैं सभी कष्ट. holika dahan के समय किया गया पूजन एवं कथा पाठ दिलाता है पूजा का संपूर्ण फल. 

शास्त्रों में वर्णित होलिका दहन की कथा holika dahan stories का पाठ करके होलिका माता की पूजा भक्तों को देती है सभी प्रकार की नकारात्मकता से मुक्ति का वरदान. mythological stories के अनुसार होली के पूर्व किया जाने वाला होलिका दहन का समय कई मायनों में विशेष माना गया है. आइये जान लेते हैं  story of holika and prahlad होलिका दहन की कथा. 

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भगवान श्री हरि से जुड़ी है होलिका दहन की कथा 

The story of Holika Dahan is related to Lord Shri Hari. शास्त्रों के अनुसार तथा पौराणिक कथाओं में होलिका दहन की कहानी मुख्य रूप से भगवान श्री हरि के नरसिंह अवतार से जुड़ी मानी गई है. कहा जाता है की अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान ने अवतार लिया.  भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद का जन्म हिरण्यकश्यप नामक राक्षस राज के घर हुआ था. प्रहलाद के पिता को विष्णु भक्ति बिल्कुल पसंद नहीं थी. वहीं, प्रह्लाद बिना किसी बात की चिंता किए श्री हरि की भक्ति में लीन रहा. 

प्रह्लाद के उपर इस कारण हिरण्यकश्यप ने अनेक अत्याचार किये. प्रह्लाद को कई बार मारने की कोशिश की. लेकिन भगवान विष्णु के प्रभाव के कारण उन्हें सदैव असफलता का सामना करना पड़ा. तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का दायित्व दिया जिस कारण होलिका दहन हुआ आइये जानते हैं होलिका दहन की कथा.

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होलिका दहन और भक्ति का स्वरुप 

होलिका राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी. हिरण्यकश्यप एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था उसका अभिमान इतना बढ़ गया था कि उसने समस्त प्रजा समेत स्वर्ग पर भी अपना अधिकार कर लिया. उसने सभी को उसकी पूजा करने का आदेश दे दिया और अन्य किसी देव की पूजा को निषेध कर दिया. ऎसे में किसी अन्य भगवान की पूजा की जाएगी तो उस व्यक्ति को दंड का भागी होना पड़ेगा. राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का की प्रजा उसी के अनुसार चलने लगी किंतु उसका पुत्र प्रह्लाद नारायण का बहुत बड़ा भक्त था. वह हर समय श्री हरि का नाम जपता रहता था. हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं आता है. अपने पुत्र को उसने हर प्रकार से समझाया लेकिन प्रह्लाद पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वह केवल हरि भक्ति में ही लीन रहते थे.

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जब हिरण्यकश्यप से प्रह्लाद नहीं माना, तो राक्षस राजा ने एक अपनी बहन को होलिका को उसे दंड देने को कहा. होलिका को वरदान था की वह अग्नि में नहीं चल सकती थी. ऎसे में ब्रह्मा के दिए वरदान के गलत उपयोग हेतु होलिका प्र्ह्लाद को अग्नि में लेकर बैठने का मन बनाती है. हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया. जिससे भगवान विष्णु का नाम लेने वाला प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाए.  हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी. किंतु श्री हरि की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और होलिका उस अग्नि में स्वयं ही नष्ट हो गई. होलिका दहन से पहले पूजा के दौरान हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की इस कहानी को पढ़ने की परंपरा सदैव रही है. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी इस कथा को पूरी श्रद्धा से पढ़ता या सुनता है. उस पर श्री हरि विष्णु की कृपा बनी रहती है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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