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Holashtak jyotish : होलाष्टक करें मंत्र सिद्धि राशि अनुसार किए मंत्र जाप देंगे साधना का लाभ

Acharya Rajrani Sharma Updated 20 Mar 2024 11:29 AM IST
Holashtak
Holashtak - फोटो : Myjyotish

खास बातें

Holashtak jyotish : होलाष्टक करें मंत्र सिद्धि राशि अनुसार किए मंत्र जाप देंगे साधना का लाभ

Holashtak Significance: होलाष्टक का महत्व साधना तांत्रिक क्रियाओं को करने में बहुत माना गया है. 
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Holashtak jyotish : होलाष्टक करें मंत्र सिद्धि राशि अनुसार किए मंत्र जाप देंगे साधना का लाभ


Holashtak Significance: होलाष्टक का महत्व साधना तांत्रिक क्रियाओं को करने में बहुत माना गया है. मान्यता है कि इस समय पर यदि ग्रंहों की शुभता चाहते हैं तो ग्रहों के मंत्र जाप द्वारा इसे प्राप्त किया जा सकता है.

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According to astrology Holashtak समय बहुत ही विशेष माना गया है. इस समय कुंडली में मौजूद ग्रहों को शुभ कर पाना संभव होता है. इसी के साथ किसी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं से बचाव में भी यह काफी सहायक है.

होलाष्टक के आठ दिनों में प्रत्येक ग्रह की स्थिति विशेष होती है. इस समय ग्रहों की स्थिति ऊर्जा सिद्धि प्रदान करने में सहायक है. तंत्र में इन आठ दिनों को बहुत खास माना जाता है. इन दिनों को तंत्र सिद्धि के लिए बहुत उपयोगी समय कहा गया है. इस समय ग्रह अपनी सबसे मजबूत स्थिति में हैं. ग्रह का प्रभाव भी काफी विशेष होता है. इसी कारण से ये दिन साधना, विशेषकर तंत्र, सिद्धि और मंत्र सिद्धि के लिए समय अनुकूल होता है.

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होलाष्टक तंत्र कार्यों के लिए विशेष समय

होलाष्टक इसका समापन पूर्णिमा के समय होता है. ऎसे में पूर्णिमा का समय तंत्र क्रियाओं की सिद्धि में सहायक बनता है. होलिका दहन के दिन के साथ ही होलाष्टक के दिनों की समाप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के आठ दिन साधना के लिए उत्तम होते हैं. ऎसे में अपनी राशि और अपनी कुंडली में मौजूद ग्रह की शुभता के लिए इस समय पर यदि मंत्र जाप कर लिया जाए तो इसका काफी जल्द मिलने वाला प्रभाव देखने को मिल सकता है.

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इस समय शुभ कार्य वर्जित होते हैं किंतु मंत्र साधना के लिए यह समय विशेष है. इस दौरान प्रकृति में बदलाव होता है. सूरज की किरणें तेज़ हो जाती है. इस समय मानसिक और शारीरिक रुप से बदलाव होते हैं. ऐसे में शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है. होलाष्टर की अवधि में व्यक्ति को पूजा-पाठ और व्रत करना चाहिए.

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होलाष्टक के आठ दिनों में प्रकृति तथा ग्रह की स्थिति विशेष होती है. मंत्र के साथ ही तंत्र शास्त्र में इन दिनों को बहुत प्रभावी माना जाता है. इन दिनों को तंत्र सिद्धि के लिए बहुत उपयोगी समय कहा गया है. इस समय ग्रह अपनी सबसे मजबूत स्थिति में हैं. ग्रह का प्रभाव भी काफी खास होता है. इस कारण यह दिन साधना, विशेषकर तंत्र, सिद्धि और मंत्र सिद्धि के लिए अनुकूल समय है. होलाष्टक को साधना तंत्र, मंत्र क्रिया करने के लिए बहुत विशेष माना जाता है. इस समय अगर मंगल, शनि और राहु केतु की शुभता चाहते हैं तो इन ग्रहों के मंत्रों का जाप करके इसे प्राप्त किया जा सकता है. इस समय कुंडली में मौजूद ग्रहों का शुभ होना संभव है. इसके साथ ही यह किसी भी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं से बचाव में भी बहुत सहायक है. होलाष्टक की अवधि में व्यक्ति को पूजा-पाठ और व्रत करना चाहिए. होलाष्टक का समय तंत्र क्रियाओं की सिद्धि में सहायक होता है.

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आइये जान लेते हैं नौ ग्रहों के मंत्र का जाप कैसे देते हैं विशेष फल:-

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।।

दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।
नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं।।

धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम

प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।
सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं।।

देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।।

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।।
 
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नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।।

अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं।
सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।।

पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।।
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