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हरियाली अमावस्या की तिथि
इस बार हरियाली अमावस्या 08 अगस्त यानी रविवार को पड़ रही है। श्रावण की अमावस्या तिथि की शुरुआत 07 अगस्त को संध्या 07 बजकर 11 मिनट से ही हो जाएगी। ये तिथि अगले दिन यानी 08 अगस्त को संध्या 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। अब क्योंकि सूर्योदय 08 अगस्त को होगा इसलिए हरियाली अमावस्या मुख्य तौर से इस दिन ही मनाई जाएगी।
हरियाली अमावस्या का महत्व
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व होता है। इस दिन व्यक्ति को पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन दान-धर्म का काम करने से भी व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है। इस दिन विशेष रूप से पितरों की पूजा की जाती है। उनके नाम पर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, दान दिया जाता है और उनके मन की शांति के लिए आदि कार्य किए जाते हैं। इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करने का भी विधान है। पीपल के वृक्ष का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इसमें ब्रह्मा जी, विष्णु जी और महेश जी बसते हैं। ऐसे ही तुलसी को भी हिंदू धर्म में मां का स्थान दिया गया। इसलिए इनकी आराधना करना आपको बहुत लाभ देगा। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या के दिन पौधे लगाने का भी विधान है। आपको प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस्या के दिन एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
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हरियाली अमावस्या की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय में एक बहुत प्रतापी राजा हुआ करते थे। उनका एक बेटा था और एक बहू थी। एक दिन बहू ने चुपके से रसोईघर से एक मिठाई चोरी करके खा ली। बाद में पूछने पर उसने एक चूहे पर इल्ज़ाम लगा दिया। ये देखकर चूहे को बेहद क्रोध आया। एक दिन जब राजा की घर में कुछ मेहमान आएं तो चूहे के दिमाग में एक योजना आयी। जब मेहमान सो रहे थे तो चूहे ने बहू के वस्त्र ले जाकर मेहमान के कमरे में रख दिए। जब सुबह सबको ये बात पता चली तो राजा ने बहू को घर से बाहर निकाल दिया।
बहू वहां से चली गई। इसके पश्चात वो रोज़ ज्वार बोने लगी। इसके साथ ही प्रतिदिन संध्या के समय वो दीपक जलाया करती थी एवं प्रसाद के रूप एम गुड़धानी बांटा करती थी। एक दिन जब राजा ने शिकार करते हुए ये देखा तो उसने अपने सैनिकों की भेजकर सब कुछ पता लगाने को कहा। जब सैनिक पता लगाने गए तो राजा की बहू के दीये ने सैनिकों को सब सत्य बताया। इसके बाद जब सैनिकों द्वारा ये बात राजा को पता चली तो उसने अपनी बहू को वापस बुला लिया। ये सब उनकी बहू की पूजा और आराधना का फल था।
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